Hindi Essay, Paragraph on “Jab Shikshak ne Mujhe Shabashi di”, “जब शिक्षक ने मुझे शाबाशी दी”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

जब शिक्षक ने मुझे शाबाशी दी

Jab Shikshak ne Mujhe Shabashi di

में कक्षा दसवीं में पढ़ता था। मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब पिताजी रिक्शा चलाते थे और मेरी माँ चौका-बरतन करती थी। जाकर दो वक्त की रोटी खाने को मिल पाती थी। परंतु मेरी माँ चाहती थी कि मैं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनूँ। इसलिए वह मुझे पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहती थी। मेरी कक्षा के लगभग सभी विद्यार्थी गणित और विज्ञान का ट्यूशन पढ़ते थे। ट्यूशन न पढ़ने के कारण मैं पढ़ने में सबसे कमज़ोर था। मैंने ये बात जब अपनी माँ को बताई तो उन्होंने मेरे गणित के अध्यापक से बात की। हमारी परिस्थिति को समझते हुए वे मझे मुफ्त में पढ़ाने के लिए तैयार हो गए। फिर क्या था, मैं मन लगाकर पढ़ने लगा और मैं भी अन्य विद्यार्थियों की तरह होशियार हो गया। मेरी परिस्थिति देखकर विज्ञान के शिक्षक भी मुझे मुफ्त में ट्यूशन देने लगे। परिणामस्वरूप बोर्ड की परीक्षा में मैं अपनी कक्षा में अव्वल आया। गणित में मेरे सभी विद्यार्थियों से अधिक अंक आए। यह देखकर मेरे गणित के अध्यापक ने मेरी पीठ थपथपाकर मुझे शाबाशी दी। उनकी शाबाशी से मेरे हर्ष की सीमा न रही। मैं उनके पैरों में गिर पड़ा। फिर उन्होंने मुझे उठाकर पुनः शाबाशी दी। मुझे उनका प्यार और शाबाशी सदैव स्मरण रहेगी।

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