Hindi Essay on “Mera Priya Khel”, “मेरा प्रिय खेल”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

मेरा प्रिय खेल

Mera Priya Khel

खेलों से मानव का जीवन फूलों सा कुसुमित होता।

शारीरिक-संपदा-विकासक, मानस तुझसे हर्षित होता।।

आज हम जिसे समग्र व्यक्तित्व कहते हैं उसका विकास खेलों के बिना संभव नहीं। खेलों का प्रत्यक्ष लाभ तो स्वास्थ्य तथा शारीरिक सामर्थ्य को बढ़ाना है। मनुष्य चाहे कितना ही पौष्टिक एवं संतुलित आहार क्यों न ले, वह तब तक शक्ति-संवर्धन नहीं कर पाता, जब तक खेल-कूद या व्यायाम को अपने जीवन का अंग नहीं बनाता। हमारे देश में कई तरह के खेल खेले जाते हैं, जैसे क्रिकेट, वालीबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन, हॉकी आदि। मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन है क्योंकि बचपन से हम भाई-बहन यह खेल-खेला करते थे। यह खेल केवल दो खिलाड़ियों के साथ खेला जाता है। इस खेल में भाग-दौड़, व्यायाम, ऊर्जा, सावधानी, कलात्मकता तथा बुधि-कौशल की बहुत बड़ी भूमिका होती है। खिलाड़ी चीते की स्फूर्ति से शॉट लगाता है और एक पाँव के बल पर पूरे शरीर को तौलते हुए झुकता, खिंचता और आगे-पीछे हटता-बढ़ता है तो रोमांचक आनंद मिलता है। इस खेल में 20-20 प्वाइंटस की तीन गेम होती हैं, जो खिलाड़ी दो गेम लगातार जीतता है उसे विजेता घोषित किया जाता है। पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। आज के समय में इस खेल का भविष्य भी उज्ज्वल है। युवा पीढ़ी ने इस खेल में भी भारत का नाम रोशन किया है। सायना नेहवाल, ज्वाला गुट्या, अश्विनी आदि बैडमिंटन की विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं।

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