Godamo me Sadta Anaaj “गोदामों में सड़ता अनाज” Hindi Essay 250 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

गोदामों में सड़ता अनाज

Godamo me Sadta Anaaj

यह देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि एक ओर देश में सूखे के हालात बने हैं, लोग भूख से तड़प रहे हैं और दूसरी ओर अखबारों और टी.वी. चैनलों पर रोजाना खबर आ रही है कि देश के अनेक हिस्सों में गोदामों में अनाज सड़ रहा है। उस अनाज की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। ये गोदाम सरकारी भी हैं और गैर-सरकारी भी। गैर-सरकारी गोदाम व्यापारियों के निजी गोदाम हैं जिनमें माल जमा है। वह सड़ने से बचा हुआ है क्योंकि यह तब बेचा जाना है जब देश में अनाज का अभाव होगा। यह अनाज महँगें दामों पर बेचा जाणा। उन गोदामों के मालिकों को इससे कुछ लेना-देना नहीं कि लोग भूख से मर रहे हैं, इस समय वे मानवीयता दिखाते हुए अपना अन्न गोदामों से बाहर निकालें। सरकारी गोदामों में अनाज तो भरा है पर उसे देखने वाला कोई नहीं है। ओडिशा, झाइखंड, छत्तीसगढ़ से आने वाली खबरें बता रही हैं कि कई हजार टन गेहूँ काला पड़ गया है और अब खाने लायक नहीं रहा है। क्या यह अनाज उन क्षेत्रों में निःशुल्क नहीं बाँटा जा सकता जहाँ भूख के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं या जहाँ स्त्रियों को अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए व्याभिचार का आश्रय लेना पड़ रहा है। सरकारें भ्रष्ट हो गई हैं। उन्हें केवल अपनी राजनीति चमकानी है। विभिन्न राज्य सरकारें यह देखती हैं कि हमारे यहाँ तो सब ठीक-ठाक है, हम दूसरे राज्यों में भूखे मर रहे किसानों की मदद क्यों करें? ऐसी सरकार संवेदनाहीन कही जाएगी। सरकार को जहाँ भी गोदामों में अनाज सड़ रहा है उससे सबंधित अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। कितनी दुखद स्थिति है कि सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के लोग भूखे मर जाएँ और अनाज गोदामों में सड़ने दिया जाए। हमारे विचार में जिन गोदामों में अनाज सड़ता हुआ मिलता है उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए जाएँ ताकि कोई इस तरह की जुरूत न कर सके और भूखों को अनाज मिल सके।

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