Hindi Essay on “Delhi ki Badalti Tasveer”, “दिल्ली की बदलती तस्वीर”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

दिल्ली की बदलती तस्वीर

Delhi ki Badalti Tasveer

दिल्ली फूलों में बसी, ओस कण से भीगी,

दिल्ली सुहाग है, सुषमा है, रंगीनी है।

प्रेमिका कंठ में पड़ी मालती की माला

दिल्ली सपनों की सेज मधुर रस भीगी है।।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को देश की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। दिल्ली के 1,483 वर्ग कि.मी. के विस्तृत क्षेत्र में 13,950, 507 से अधिक लोग रहते हैं। यहाँ प्रति व्यक्ति आय र 5000 से अधिक है। पिछले 25 वर्षों में दिल्ली का काफी विस्तार हुआ है। विशेषकर एशियाड-82 में दिल्ली नए रंग में रंगने लगी थी। फ्लाईओवरों ने दिल्ली को नई पहचान देनी शुरू की। अब दिल्ली में 60 से ज्यादा फ्लाईओवर देख कोई भी रश्क कर सकता है। दिल्ली में मॉल्स का जाल बिछ रहा है। पुराने थिएटरों की जगह मल्टिप्लेक्स ले रहे हैं और इन सबसे बढ़कर दिल्ली के पास मेट्रो भी है। विदेशी भी आते हैं तो मेट्रो की सैर जरूर करना चाहते हैं क्योंकि यह दिल्ली की शान बन गई है। एशियाड से दिल्ली ने रूप बदलना शुरू किया था और अब तो कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 भी दिल्ली में संपन्न हुए हैं। इन खेलों पर 2000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं और जाहिर है कि इससे दिल्ली की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। दिल्ली का रूप अचानक या एकाएक नहीं बदला। दिल्ली को बदला है यहाँ के रहने वालों ने। दरअसल दिल्लीवाले वक्त के साथ-साथ अपनी लाइफस्टाइल, अपना अंदाज और अपनी प्राथमिकताएँ सब कुछ बदलते रहते हैं।

अगर गली परांठे वाली के गर्मागर्म परांठे, रोशन कुल्फीवाला, काके दा होटल, ज्ञानी दी कुल्फी, यूपीएससी के पास भल्लेवाला और करीम नॉनवेज दिल्ली की पहचान रहे हैं तो आज बदली हुई दिल्ली में केएफसी, पिज्जा हट, मैकडोनाल्ड्स, बरिस्ता, परांठा जंक्शन और चायना यउन भी दिल्लीवालों को उतना ही भा रहे हैं। दिल्लीवालों ने ट्राम का मजा भी लिया है तो अब वे लो फ्लोर बसों की सवारी के लिए भी तैयार हैं। यह सच है कि आज हम बसों के लिए भटक रहे हैं लेकिन इसके बावजूद दिल्लीवालों की गति थमती नहीं है। वे उस रंग में भी खुश थे और इस रंग में भी खुश हैं। आतंकवादियों की हरकतें या फिर खौफनाफ हादसे दिल्लीवालों को ठिठकने के लिए तो मजबूर करते हैं। लेकिन वे फिर इस बदलते दौर का हिस्सा बन जाते हैं। दिल्लीवालों ने अब लाइफ स्टाइल भी बदल ली है। मोबाइल फ़ोन के मामले में तो दिल्ली सबसे आगे है। दिल्ली के बाज़ार अब शाम के धुंधलके में ही नहीं खो जाते बल्कि वो दधिया रोशनी में नहाते नज़र आते हैं। अभी तो दिल्ली को अगले तीन सालों में और भी बदलना है। दिल्ली के आसपास भी अब दिल्ली जैसी ही रौनक है। दिल्ली अब नए रंग में है। अब दिल्ली का विशाल और विराट रूप आपके सामने है, जिसमें सब कुछ सभी के लिए है। पूरी दिल्ली सभी की है-न नई, न पुरानी।

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