Learn How to Write Hindi Letters for “Business Letters”, “Official Letters”, ” General Letters” and “Family Letters” with letter examples.

Letters

पत्र-लेखन

 

महत्ता: पत्र-लेखन एक कला है। आधुनिक युग में संचार सुविधाओं के कारण यह कला पहले की अपेक्षा अधिक विकसित होती। जा रही है। इसमें हमें दो बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। पहली बात है पत्र-लेखन की शैली और दूसरी बात है पत्र का बाह्य रूप । वस्तुतः यह पत्र लेखक का प्रतिनिधि होता है। इसलिए इसकी शैली ऐसी होनी चाहिए जिस में पत्र लेखक का व्यक्तित्व पूर्णरूप से दृष्टिगत होता हो । इसमें भावों की स्पष्टता सरल भाषा में होनी चाहिए ताकि पत्र पाने वाला उसके आशय को भली भाँति समझ सके। भाषा को साहित्यिक बनाने के लोभ में भावों का गला नहीं घोंट देना चाहिए। पत्र संक्षिप्त और आवश्यकतानुसार बातों से युक्त होना चाहिए। इसमें शिष्टाचार का ध्यान हमेशा रखा जाना चाहिए, जिन लोगों के प्रति जिस प्रकार का शिष्टाचार अपेक्षित हो, वैसा बरतना चाहिए। इसमें भेजने वाले व्यक्ति का नाम व पता अवश्य होना चाहिए। पत्र पाने वाले के लिए यथोचित सम्बोधन और यथोचित अभिवादन भी रहना चाहिए। पत्र की लिखावट सुन्दर और स्पष्ट होनी चाहिए।

 

पत्रों के प्रकार: पत्र निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं:-

 

1. पारिवारिक पत्र – Family Letter

2. व्यावहारिक पत्र – General Letter

3. आधिकारिक पत्र – Official Letter

4. व्यापारिक पत्र  – Business Letter

 

1. पारिवारिक पत्र: ये पत्र आत्मीयजनों को लिखे जाते हैं। इसलिए इनमें भेजने वाले और पाने वाले के बीच आत्मीयता का प्रदर्शन रहता है। इसका कलेवर आत्मीयता की भावना से युक्त रहता है।

 

2. व्यावहारिक पत्र: ये पत्र गुरु जी, मित्र और अन्य परिचितों को लिखे जाते हैं। इनमें अनौपचारिक व्यावहारिक पत्रों की अधिक महत्ता रहती है। ये केवल उन्हीं लोगों को भेजे जाते हैं जिनसे उस पत्र का उत्तर पाना अथवा पत्रानुसार कार्य करवाना सचमुच ही अभीष्ट होता है। निमंत्रण-पत्र, अभिनन्दन-पत्र, बधाई-पत्र और सहानुभूति के पुत्र इन्हीं के अन्तर्गत आते हैं।

 

3. आधिकारिक पत्र: ये पत्र जनता के सदस्यों की ओर से अधिकारियों को भेजे जाते हैं अथवा किन्हीं अधिकारियों की ओर से अन्य अधिकारियों के नाम अथवा अधिकारियों की ओर से जनता के सदस्यों के नाम भेजे जाते हैं। इनके अन्तर्गत डाकपाल, स्टेशन मास्टर, स्वास्थ्याधिकारी, उपराज्यपाल और मंत्री आदि को भेजे गए पत्र आते हैं।

 

4. व्यापारिक पत्र: ये पत्र जनता के सदस्यों की ओर से व्यापारिक संस्थानों के नाम लिखे जाते हैं अथवा व्यापारिक संस्थाओं की ओर से जनता के सदस्यों के नाम भेजे जाते हैं अथवा एक व्यापारिक प्रतिष्ठान से अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान को भेजे जाते हैं। इनमें सामान के मूल्यों की जानकारी, मॅगाए गए सामान के सम्बन्ध में शिकायतें और रुपए के भुगतान के सम्बन्ध में अनुस्मारक आदि रहते हैं।

 

पत्र आरम्भ करने का विधि:

 

 

 

(i) पारिवारिक पत्रों का आरम्भ:

 

7. डी०डी०ए०फ्लैट (स्वयं वित्त योजना)

हौज खास, नई दिल्ली-110016

दिनांक 5 मार्च,

 

आदरणीय पिताजी,

सादर प्रणाम ! । अत्र कुशलं तत्रास्तु ।

 

 

 

(ii) परीक्षा केन्द्रों में पत्रों का आरम्भ:

 

 

परीक्षा भवन,

15 मार्च, …………..

 

पूज्या माता जी,

चरण वंदना !

अत्र कुशलं तत्रास्तु !

 

 

(iii) प्रार्थना-पत्र का आरम्भ:

 

प्रतिष्ठा में।

 

श्रीयुत प्रधानाचार्य,

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,

ग्रीन पार्क, नई दिल्ली-110016

 

मान्यवर महोदय,

विशेष: प्रार्थनापत्र में तिथि प्रार्थनापत्र की समाप्ति पर बायीं ओर

लिखनी चाहिए।

 

 

(iv) अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्रों का आरम्भ:

 

प्रतिष्ठा में

खेल अधिकारी महोदय,

मान्यवर,

 

 

(v) व्यावहारिक पत्रों का आरम्भ:

 

नई दिल्ली ।।

दिनांक… परम पूज्य गुरुवर,

सादर प्रणाम ।।

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