How to write Hindi Letter with latest format, Learn 4 Types of Hindi Letter Writing.

पत्र-लेखन

HINDI LETTER-WRITING

पत्रों के द्वारा हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाते हैं। अच्छा पा वह है जिसमें पत्र लिखने वाला अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रकट करे।

अच्छा पत्र कैसे लिखें? अच्छा पत्र वही है जिसमें संक्षेप में, स्पष्ट एवं उपयुक्त भाषा में अपनी बात व्यक्त की गई हो। पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

(क) पत्र में लिखने वाले का पूरा पता तथा तिथि उपर्युक्त स्थान पर लिखी होनी चाहिए।

(ख) जिस व्यक्ति को पत्र लिखा गया हो, उसके लिए उचित सम्बोधन तथा अभिवादन का प्रयोग करना चाहिए।

(ग) पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए।

(घ) पत्र में अनावश्यक विस्तार न हो तथा अपनी बात को संक्षेप में कहा गया हो।

(ङ) पत्र के अंत में लिखने वाले के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

(च) प्रार्थनापत्रों में प्रार्थना करने वाले को अपने को छोटा मानते हुए अधिकारी या व्यक्ति के प्रति सम्मान पूर्ण भाषा का प्रयोग करना चाहिए तथा प्रार्थना स्वीकार करने के लिए कुछ कारण भी देना चाहिए।

(छ) पारिवारिक पत्रों में ऐसी स्नेहयुक्त भाषा का प्रयोग होना चाहिए।

पत्र के प्रकार- पत्र चार प्रकार के होते हैं

  1. प्रार्थना पत्र
  2. निजी व्यापारिक पत्र
  3. व्यावसायिक पत्र
  4. अधिकारियों या कार्यालयों के पत्र।

पत्र के अंग

  1. स्थान और तिथि- पत्र के उपरी सिरे पर दायीं और लिखी जाती है।
  2. सम्बोधन- पत्र के प्रारम्भ में बाईं ओर सम्बोधन लिखा जाता है। बड़ों के लिए पूज्य, पूजनीय, मान्यवर, बराबर वालों के लिए प्रिय, प्रियवर, वन्धुवर, मित्रवर, छोटों के लिए प्रियवर, आय स्मान. चिरंजीव तथा व्यावसायिक पत्रों में प्रिय महोदय, महोदय आदि का प्रयोग किया जाता है।
  3. अभिवादन- सम्बोधन के नीचे यथा योग्य अभिवादन शब्द भी लिखा जाता है। व्यक्तिगत पत्रों में बड़ों के लिए प्रणाम, सादर प्रणाम, चरणस्पर्श, सादर चरण स्पर्श, नमस्कार आदि। छोटे के लिए आर्शीवाद, शुभाशीष, प्रसन्न रहो आदि लिखे जाते हैं। व्यावसायिक पत्रों में अभिवादन नहीं लिखा जाता।
  4. पत्र का कलेवर- यह पत्र का मुख्य विषय होता है।
  5. समाप्ति- पत्र के विषय की समाप्ति के बाद प्राय: कुछ शब्द या वाक्य लिखने की परम्परा है। जैसे शेष फिर, धन्यवाद, धन्यवाद सहित।
  6. हस्ताक्षर से पूर्व की शब्दावली- पत्र के अन्त में- जैसे बड़ों के लिए आपका आज्ञाकारी, विनीत आदि। बराबर वालों के लिए तुम्हारा, तुम्हारा अभिन्न हृदय। छोटो के लिए तुम्हारा शुभ-चिन्तक, तुम्हारा हितैषी, शुभेच्छु, व्यावसायिक पत्रों में भवदीय आदि तथा आवेदन-पत्रों में भवदीय, प्रार्थी आदि लिखते हैं।
  7. हस्ताक्षर- बड़ों क लिखे गए पत्रों में केवल नाम लिखना चाहिए। जैसे राम लाल। 8. पता- पत्र के अन्त में पता होता है। पता भी सावधानी से लिखना चाहिए।

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