How to “steel utensils”, “स्टील के बर्तन” Invented, Who Invent Steel Utensils, Article in Hindi.

स्टील के बर्तन 

Steel Utensils

(रसाई की शान)

आज स्टेनलेस स्टील के बर्तनों की भारी मांग है। पीतल या कांसे के बर्तनों का उपयोग लगभग बंद-सा ही हो गया है। आज लगभग सभी घरों में स्टेनलेस स्टील के बर्तन इस्तेमाल होते हैं। धोने में आसान, किसी प्रकार का धब्बा नहीं छोड़ने वाले ये बर्तन अब सस्ते भी हैं और टिकाऊ भी। अब गरीब लोग भी इनका इस्तेमाल करने लगे हैं। धातु के बर्तनों का इस्तेमाल मनुष्य सदियों से करता आया है। पहले बर्तन में इस्तेमाल होने वाली धातु से व्यक्ति की आर्थिक व सामाजिक स्थिति का पता चलता था।

Steel Utensils

Steel Utensils

राजे-महाराजे सोने-चांदी के बर्तनों का प्रयोग करते थे। साधारण व्यक्ति पीतल, कांसे के बर्तनों का प्रयोग करते थे। पीतल के बर्तनों के साथ एक समस्या थी खट्टे पदार्थ उसमें जल्दी ही खराब हो जाते थे। क्योंकि खट्टे पदार्थों का अम्ल पीतल के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता था और खाद्य पदार्थ दूषित हो जाता था। बाद में जब एल्यूमीनियम सस्ता हो गया तो एल्यूमीनियम के बर्तन भी इस्तेमाल होने लगे। कारण, गरीब लोग इन्हें पसन्द करते थे। रासायनिक प्रतिक्रिया का भी खतरा नहीं था पर ये देखने में आकर्षक नहीं थे।

उन्नीसवीं सदी में माइकेल फैराडे ने अनेक धातुओं के मिश्रण बनाए। उसने लोहे में क्रोमियम मिलाया, पर वह स्टेनलेस स्टील नहीं बना पाया। क्रोमियम मिलाने से उत्पन्न होने वाले गुणों पर भी वैज्ञानिकों में पहले से ही मतभेद था। उनका उद्देश्य था ऐसा स्टील बनाना, जिसमें जंग आदि न लगे।

सन् 1904 में लियोन गलेट नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने लोहे और क्रोमियम के मिश्रण में थोड़ा कार्बन मिलाकर उसके गुणों का अध्ययन किया। बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने भी इस पर अध्ययन किया। सन् 1912 में पहली बार स्टेनलेस धातु तैयार हुई, जिसका श्रेय इंग्लैंड के हैरी ब्रेयरले और अमेरिका के एलवुड हेंस को जाता है। दोनों ही अलग-अलग इसे विकसित करना चाहते थे। पर सैनिक अधिकारियों ने इस स्टील, जिसमें 12.4 प्रतिशत क्रोमियम तथा 24 प्रतिशत कार्बन था, में कोई रुचि नहीं दिखाई। ब्रेयरले ने अब इससे बर्तन बनाने के लिए सुझाव दिया। उसकी कम्पनी ने उस स्टील से चाकू बनवाए, पर चाकू बनाने वालों ने उस स्टील को घटिया घोषित कर दिया। सन् 1915 में ब्रेयरले ने इसका पेटेंट हासिल कर लिया।

सन् 1919 में अमेरिका में हेंस ने भी पेटेंट हासिल कर लिया। बाद में इस अनोखे स्टील के गुणों का पता चलता गया और बर्तन-निर्माण में इनका उपयोग बढ़ता गया। ज्यों-ज्यों निर्माण-प्रक्रिया में सुधार आता गया त्यों-त्यों इनकी मांग भी बढ़ती गई और उसके साथ ही इनके दाम भी कम होते गए।

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