अंग्रेजी की वर्णमाला
English Alphabet
(विपुल एवं समृद्ध साहित्य की रचना के लिए)
अंग्रेजी की वर्णमाला अत्यंत सरल मानी जाती है। इसमें मात्र 26 अक्षर हैं और इनकी सहायता से विपुल और समृद्ध साहित्य रचा गया है। प्राचीनकाल में मिस्रवासियों और चीनियों ने विभिन्न चित्रों से चीजों को वर्णित करना प्रारम्भ किया था। यह लगता ही आसान था, पर सीखनेवाले को हजारों तरह के संकेत समझने और याद करने पड़ते थे। यूनानवासियों ने ग्रीक वर्णमाला विकसित की। इसका आधार चित्र नहीं, ध्वनि थी। विभिन्न शब्दों से निकलनेवाली ध्वनि पर आधारित अक्षर व शब्द बनने लगे। इससे हजारों चित्रोंवाली वर्णमाला की अपेक्षा छोटी वह आसान वर्णमाला बनने लगी।
ग्रीक वर्णमाला के आधार पर अंग्रेजी की वर्णमाला का विकास हुआ। इतना ही नहीं, ग्रीक अक्षर ‘अल्फा’ और ‘बीटा’ को मिलाकर अल्फाब बना, जो वर्णमाला के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान काफी परिवर्तन हुए। अक्षरों के क्रम में भारी-फेर बदल हुआ। अंग्रेजी की । अक्षर F है, जबकि ग्रीक का छठा अक्षर Z होता है।
पहले अंग्रेजी वर्णमाला में मात्र 22 अक्षर विकसित हुए। K, J, V, और W नहीं थे। मध्ययुग में जाकर ‘K’ विकसित हो पाया और ‘(C) के स्थान पर कड़ी आवाजवाले को ‘K’ कहा गया। पहले कीन (keen) ‘ को cene लिखा जाता था। बाद में keen लिखा जाने लगा। पहले के स्थान पर भी i का ही प्रयोग होता था। बाद में मध्ययुग में j अलग किया और उसे वर्णमाला में 1 के बाद स्थान दिया गया। इन दोनों ही अक्षरों के ऊपर बिंदी लगती है।
इसी प्रकार V अक्षर भी नहीं था और U को कुछ जगहों पर V के रूप में उच्चारित किया जाता था। बाद में आनेवाली कठिनाइयों को ध्यान में रखकर V को वर्णमाला में स्थान दिया गया। अठारहवीं सदी में लोग V का प्रयोग करने लगे थे।
W अक्षर अंग्रेजी वर्णमाला का सबसे रोचक अक्षर है। पहले यह दो v को मिलाकर ‘vv’ के रूप में लिखा जाता था। कुछ लोग दो u को मिलाकर भी लिखते थे। बाद में यह w के रूप में लिखा जाने लगा।
अठारहवीं सदी तक आते-आते अंग्रेजी वर्णमाला स्थायी हो चली थी; पर अनेक लोग अभी भी इसके संशोधन में जुटे थे। सन् 1768 में बेन फ्रेंक्लिन नामक विद्वान ने वर्णमाला में सुधार के लिए प्रयत्न किया। उन्होंने c,j,q,W, X,y आदि को निकालकर नए अक्षर डालने का प्रस्ताव किया। उनका विचार था कि अक्षरों से एक जैसी ध्वनि निकले। इस दिशा में प्रस्ताव किया। उनका विचार था कि अक्षरों से एक जैसी ध्वनि निकले। इस दिशा में उन्होंने कुछ प्रस्ताव भी रखे, पर लोगों को वे भ्रामक व अजीबोगरीब लगे। उसमें अनेक समस्याएं भी थीं, जैसे-आम तौर पर y का उच्चारण नहीं होता है और अगर होता है तो e या i की तरह। अतः एक जैसी ध्वनि के अक्षर तैयार करना आसान काम नहीं था।
फ्रेंक्लिन ने अक्षरों को वर्गों में भी बांटने का प्रयास किया। उनके अनुसार कुछ अक्षर बहुत ज्यादा इस्तेमाल होते थे, जैसे-e,t,a,i,o,n,h,r, फ्रेंक्लिन इनमें परिवर्तन करने के पक्ष में नहीं थे। जो भी हो, परिवर्तन नहीं हुआ। आज अंग्रेजी भाषा काफी समृद्ध हो चुकी है।
इसी प्रकार विश्व में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग कालों में विभिन्न वर्णमालाओं का विकास हुआ। अनुमानों के अनुसार, विश्व में कुल 250 वर्णमालाओं का विकास हुआ, पर उनमें से तीन-चौथाई का प्रचलन समय के साथ बंद भी हो गया। लगभग 65 वर्णमालाएं पूरे विश्व में अलग-अलग जगहों पर प्रचलन में हैं। सबसे ज्यादा वर्णमालाएं हमारे देश में प्रचलित है। यहां संस्कृत, मराठी, हिंदी तो देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं।