Hindi Story, Essay on “Jaise ko Tesa ”, “जैसे को तैसा” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

जैसे को तैसा

Jaise ko Tesa 

एक जंगल में एक नदी बहती थी। एक दिन एक शेर नदी के किनारे पानी पी रहा था। उसी समय दूसरे किनारे पर एक गधा भी पानी पीने आया। गधे को देखकर शेर उसे खाने का उपाय सोचने लगा। बातों में उलझाने के लिए शेर ने गधे से पूछा, “नदी के दूसरी तरफ सब ठीक तो है न?” गधे ने बताया कि सब ठीक-ठाक है। फिर शेर ने पूछा, “सुना है तुम्हारी तरफ सियार बहुत अच्छा गाते हैं।” गधा तैश में आ गया और बोला “सियार को तो गाना आता ही नहीं। उससे अच्छा तो हम गधे गाते हैं।” तब शेर ने गधे को गाना सुनाने के लिए कहा। गधा खुश होकर जोर-जोर से रेंकने लगा। रेंकते-रेंकते उसने आँखें बन्द कर लीं।। शेर तो मौके की तलाश में था। उसने सही मौका देखकर छलांग लगाई और गधे को पकड़ लिया। तब गधे की समझ में आया कि शेर ने उसे ठग लिया।

परन्तु प्रत्यक्ष में वह शेर से बोला, “मैंने सुना है कि शेर भगवान का ध्यान करके शिकार करते हैं।’ शेर जाल में फंस गया। वह बोला, “हाँ हाँ मैं तो सदैव भगवान का ध्यान करके ही भोजन करता हूँ।” ऐसा कहकर वह आँखें बंद करके भगवान का ध्यान करने लगा। मौका देखकर गधा पूरी ताकत लगाकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। शेर । अपना सा मुँह लेकर रह गया। किसी ने ठीक कहा है कि “जो दूसरों को ठगने की कोशिश करता है वह खुद ही ठगा जाता है।”

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