मेरा पड़ोसी (आदर्श पड़ोसी)
(Ideal Neighbour)
भूमिका-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में मनुष्य अकेला नहीं रह सकता। जीवन के प्रत्येक क्रिया-कलाप में मनुष्य को साथी और सहारे की आवश्यकता होती है। सुख तथा शांति के लिए आवश्यक है कि घर में चैन हो, मित्र शुभचिंतक हों तथा उत्तम हों।
पड़ोसी का परिचय-क्या परिचय कराया जाए अपने पड़ोसी का। मेरे पड़ोसी के अपनत्व से खींची हुई हैं। केवल इतना ही दूर है मेरे घर से वर्मा जी का निवास स्थान। वर्मा काटेज के नाम से प्रसिद्ध तिमंजिला मकान सभी आधुनिक उपकरणों तथा साधनों से युक्त है।
परिवार का परिचय-कितना सौभाग्यशाली होता है मनुष्य, जिसका पड़ोसी उत्तम हो। श्री वर्मा जी उदार विचारों के स्नेहशील व्यक्ति हैं। पत्नी भी पति से पीछे क्यों रहे? संपन्न परिवार से संबंध रखने वाली पत्नी सुघड़ गृहिणी हैं। माता-पिता समझदार हों तो परिवार पर प्रभाव पड़ता ही है। वर्मा जी की दो संतानें हैं-दोनों पुत्र हैं, राजीव तथा दिनेश। दोनों आज्ञाकारी व विनम्र स्वभाव के हैं। प्रगतिशील विचारों वाले वर्मा जी का गृहस्थ जीवन सादगी से भरपूर है।
व्यवसाय-व्यवसाय व्यक्ति के महत्व को दर्शाता है। शिक्षा विभाग में निकट के विद्यालय में मुख्याध्यापक के पद पर कार्यरत वर्मा जी अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान हैं। समय के पाबंद रहो हैं, ईमानदारी इनका गहना है। छल कपट का नामोनिशान नहीं। उच्च पद पर होते हुए भी घमंड नाम की चीज उनमें नहीं है।
समाज सेवक-वर्मा जी अपने समय का सदुपयोग करने के लिए समाज सेवा और अपने इलाक के कल्याण में समय व्यतीत करते हैं। अपनी कालोनी की कल्याण समिति के सचिव पद पर सुशोभित वर्मा जी लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सदा प्रयत्नशील रहते हैं।
महान व्यक्तित्व-उच्च व्यक्तित्व के स्वामी वर्मा जी दसरों की सहायता के लिए सदा तत्पर रहते हैं। कोई भी बीमार हो, वर्मा जी हाल-चाल पूछने जाएंगे ही। वर्मा जी का व्यक्तित्व हर दृष्टि से महान है। वर्मा जी निर्धनों तथा जरूरतमंदों की सहायता भी करते हैं। धन से और तन से भी उन्हें दूसरों की सहायता करने में विशेष आनंद मिलता है।
उपसंहार-पड़ोसी हो तो वर्मा जी जैसा। नेता हो तो वर्मा जी जैसा। भाई हो तो वर्मा जी जैसा। वित्र हो तो वर्मा जी जैसा। जो भी उनके संपर्क में आता है उसके ये ही शब्द होते हैं। यदि मुझे वर्मा जी का पड़ोस न मिला होता तो जीवन का आनंद नष्ट हो जाता। जीवन के सारे सुख और ऐश्वर्य मिट्टी में मिल जाते। परमात्मा करे सबको ही वर्मा जी जैसा मिलनसार, मृदुभाषी और विनम्र पड़ोसी मिले।