Hindi Essay, Paragraph on “Delhi ki Sair”, “दिल्ली की सैर”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

दिल्ली की सैर

Delhi ki Sair 

मेरी दिल्ली की सैर बहुत ही यादगार रही। मैं अपने दादाजी के साथ दिल्ली गया था। उन्होंने मुझे बताया कि पाण्डवों ने दिल्ली का इद्रप्रस्थ का नाम दिया था और पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के एक गौरवशाली राजा रहे हैं। दिल्ली को ‘हिन्दुस्तान का दिल’ भी कहते हैं।

इसके सौन्दर्य और वैभव की कहानी चारों ओर बने सुन्दर भवनों और रमणीय स्थलों को देखकर पता चल जाती है। सबसे पहले हमने लालकिला देखा। लाल पत्थरों से बने इस किले को शाहजहाँ ने बनवाया था। इसमें दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, सावन-भादों और संग्रहालय देखने योग्य हैं। इसके निकट ही जामा मस्जिद है। हुमायूँ का मकबरा, हज़रत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह, कुतुबमीनार-सब कुछ हमने देखा। दादाजी ने बताया कि कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया था। इसके निकट ही लौह स्तंभ है। इसमें आज तक जंग नहीं लगा है।

फिर हम जंतर-मंतर गए। जंतर-मंतर भारतीय नक्षत्र विज्ञान का अद्भुत स्मारक है। फिर हमने दिल्ली का पुराना किला देखा। पुराना किला दिल्ली के सबसे प्राचीन अवशेषों में से है। कहते हैं-इसे पाण्डवों ने बनवाया था। पुराने किले के पास ही प्रगति मैदान है। दादाजी ने बताया। कि इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ आयोजित होती हैं। यहा। विश्व पुस्तक मेला भी लगता है।

फिर हमने इंडिया गेट देखा, जिसे प्रथम विश्व युद्ध में 90 हजार से अधिक शहीद भारतीय सिपाहियों की याद में बनवाया था। यह 42 मीटर ऊँचा है। यहाँ अनजान शहीदों की स्मति में हमेशा अमर जवान ज्योति जलती रहे। इसके अतिरिक्त हमने बिरला मंदिर और लोटस टेम्पल भी देखा। जिसे बहाई धर्म के मानने वालों ने बनवाया है। उसके  बाद  हमने कनॉट प्लेस की चमक-दमक भी देखी। यहाँ का गोलाकार बाजार भी देखा, जो मुझे सबसे अच्छा लगा।

इसके अलावा हमने करोल बाग, सदर बाजार और चाँदनी चौक भी हवा। चाँदनी चौक में हमने दही-भल्ले भी खाए जहाँ काफी भीडभाड श्री दर से हमने संसद भवन और उच्चतम न्यायालय भी देखा। हालांकि जनसंख्या की वृद्धि ने दिल्ली का रंग-रूप बिगाड दिया है, इसके बावजूद दिल्ली देश की धड़कन है। प्रत्येक भारतवासी यहाँ आने का सपना देखता है। क्यों ने देखे? दिल्ली है ही इतनी खूबसूरत!

दिल्ली की सैर करके मेरा मन खुशी से झूम उठा था। फिर हम रात होने तक अपने घर वापस चलने के लिए बस में बैठ गए-दिल्ली की यादें अपने दिल में बसाए हुए।

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