Hindi Essay, Paragraph on “Bhikari ki Aatmakatha ”, “भिखारी की आत्मकथा”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

भिखारी की आत्मकथा

Bhikari ki Aatmakatha 

भारत के हर नगर में भिखारी देखे जा सकते हैं। वह सब जगह भीख मांगते-गिड़गिड़ाते दिखाई पड़ जाते हैं। भिखारी सड़कों, चौराहों, धार्मिक स्थलों, ऐतिहासिक जगहों, रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर हर कहीं मिल जाते हैं। ये पर्यटकों के भ्रमण स्थलों पर भी भीख मांगते नज़र आ जाते हैं।

कुछ लोग गरीब होते हैं और कुछ और करने की समझ नहीं आती तो भीख मांग कर अपनी जीविका चलाते हैं। भिखारी के पास पैसे, कपड़े और खाना कुछ भी नहीं होता। सामान्यतः भिखारियों का परिवार नहीं होता, उनका कोई मददगार भी नहीं होता। बहुत-से भिखारी विकलांग होते हैं जो किसी अन्य शारीरिक काम को करने के योग्य नहीं होते। उन्हें हमारी सहायता की जरूरत होती है। कुछ भिखारी रेलगाड़ी या बसों में कुछ गाकर या बजाकर आर्थिक सहायता की कामना करते हैं।

लगाकर किन्तु कुछ भिखारी विकलांग, लूला-लंगड़ा, अंधा होने का ढोंग रचते हैं, वे कामचोर होते हैं, मेहनत से जी चुराते हैं। उन्हें मांग कर खाने की आदत पड़ जाती है। कुछ किस्से ऐसे भी सुनने में आते हैं कि कुछ असामाजिक तत्त्व बच्चों का अपहरण कर उन्हें भीख मांगने पर मजबूर करते हैं।

भिखारी गन्दे दिखते हैं, मैले कपड़े पहनते हैं, उनके बाल रूखे और अस्त-व्यस्त होते हैं। उन्हें देखकर अच्छा नहीं लगता। अधिकतर लोग भिखारियों से घृणा करते हैं और उन्हें दुत्कार देते हैं। यह ठीक है कि हमें भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिये लेकिन सभी भिखारी घृणा का पात्र नहीं होते। कुछ सचमुच असहाय होते हैं। लोग भिखारियों को डांट देते हैं, कुछ तो मारते हैं और पूछते हैं कि काम क्यों नहीं करते? पर हममें से कितने उन्हें काम देने का प्रयास करते हैं?

भिखारी हमारे समाज के नाम पर एक धब्बा हैं, हमें समाज को भिखारी रहित बनाना होगा। भिखारी चालाक और धोखेबाज भी हो सकते हैं। ऐसे भिखारियों से सावधान रहना चाहिये जो विकलांगता का नाटक करते हैं.

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