Hindi Essay on “Mere Pitaji”, “मेरे पिताजी”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

मेरे पिताजी

Mere Pitaji

3 Hindi Essay on ” Mere Pitaji”

निबंध नंबर :- 01

फूल, पत्ते और टहनियाँ जैसे पेड़ पर निर्भर रहती हैं, वैसे ही हम बच्चे भी पूरी तरह अपने माता-पिता पर आश्रित हैं। हमारे पिता हमारे घर के संचालक हैं। वे अपने बच्चों की सभी जरूरतों का, उनके घूमने-फिरने, उनकी पढ़ाई  का पूरा ध्यान रखते हैं।

मेरे पिताजी इंजीनियर हैं। वे सरल स्वभाव के विनम्र व्यक्ति हैं। वे बड़ेबड़े शहरों में पुल बनाते हैं, परंतु उन्हें अपनी सफलता का घमंड नहीं है। देर रात तक चश्मा पहने और कमीज के बाजु मोड़े, वे नक्शे बनाते हैं। मैं भी। उनके साथ अपनी कुरसी पर जमकर भारत के नक्शों में रंग भरता हूँ।

मेरे पिताजी एक मित्र की भांति मेरे साथ बहुत शरारतें भी करते हैं। वे अपने ऊँचे कंधों पर बिठाकर मुझसे पेड़ से अमरूद तुड़वाते हैं। रविवार को हम मिलकर उनकी गाड़ी धोते हैं। उन्हें मेरे साथ बारिश में भीगना भी बहुत अच्छा लगता है। कितने भी व्यस्त क्यों न हों, मेरे पिताजी हर रविवार हमें घुमाने अवश्य ले जाते हैं।

मेरे जन्मदिन पर उन्होंने मेरे विद्यालय आकर मुझे चौंका दिया। वे मेरे सभी मित्रों के लिए उपहार भी लाए थे।

मैं भी बड़ा होकर अपने पिताजी की तरह आगे बढ़ना चाहता हूँ। मेरे पिताजी मेरे आदर्श हैं।

निबंध नंबर :- 02

मेरे पिता

Mere Pita

मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं। वह प्रातः साढ़े आठ बजे घर से चले जाते हैं और सायं छः बजे वापिस आते हैं। सप्ताह में उनके पांच कार्य दिवस होते हैं। शनिवार एवं रविवार को उनका अवकाश होता है।

अवकाश के दिन कभीकभी वह हमें पिकनिक पर एवं घुमाने ले जाते हैं। पिछले रविवार वह हमें सर्कस दिखाने ले गये। जहाँ हमें बहुत मज़ा आया।

वह सुबह जल्दी उठ जाते ६ हैं एवं नियमित रूप से व्यायाम करते हैं। स्नान के बाद पिताजी आधा घंटा पूजा एवं ध्यान करते हैं। वह अपना सभी काम नियमानुसार करते हैं। जो उन्हें चुस्त एवं स्वस्थ बनाये रखता है।

मेरी तरह उनका जन्म भी दिल्ली में हुआ था। उन्होंने सारा जीवन यहीं बिताया। वह 37 (सैंतिस) वर्ष के हैं। पिताजी हमारे छोटे-से परिवार के मुखिया हैं। वह बहुत दयालु हैं एवं सदैव जरूरतमंदों की सहायता को तत्पर रहते हैं। वह पढ़ाई में मेरी मदद करते हैं, हमें कहानियाँ सुनाते हैं और हमारे संग खेलते हैं। वह घर के बहुत-से कार्यों में माँ की भी मदद करते हैं। पिताजी हमें और हम उन्हें बहुत प्यार करते हैं।

निबंध नंबर :- 03

मेरे पिताजी

My Father

मेरे पिताजी का नाम श्री विजय कुमार श्रीवास्तव है। वे कॉलेज में प्रोफेसर हैं। वे एक सज्जन और इमानदार व्यक्ति हैं। वे सभी लोगों के साथ मधुर व्यवहार करते हैं। अपने कार्य के प्रति उनकी निष्ठा और लगन अदभत है। प्रातः पाँच बजे ही उठकर दैनिक कार्यों के प्रति समपित हो जाते हैं । वे पुस्तकों के बहुत शौकीन हैं। उन्होंने घर में एक छोटे से पुस्तकालय की स्थापना की है। इसमें दनिया भर की नायाब पुस्तकें हैं। उनके पास विद्याधीगण बेरोकटोक मिलने चले आते हैं। निर्धन छात्रों को वे निःशल्क विद्यादान देते हैं। मरे पिताजी एक आदर्श अभिभावक भी हैं । मेरी पढ़ाई के बारे में वे हमेशा सजग रहते हैं। घर के कार्यों में वे समय-समय पर हाथ बँटाते रहते हैं। शहर में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है। मेरे मन में उनके प्रति बहुत प्यार और सम्मान है। कॉलेज में उन्हें एक आदर्श प्राध्यापक के रूप में आदर प्राप्त होता है।

शब्दभंडार

मधुर= मीठा, अच्छा । अद्भुत अनाखा । निःशुल्क विद्यादान = बिना फीस लिए सजग – सावधान, सतर्क । पढ़ाना । प्रतिष्ठा = मान-मर्यादा, यश, इज्जत । विद्यार्थीगण = छात्र-छात्राओं का समूह । सम्मान – आदर । प्राध्यापक = कॉलेज के शिक्षक ।

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