गाँधी जयन्ती -2 अक्तूबर
Gandhi Jayanti – 2 October
रूप–रेखा (Outlines)
गाँधी जयन्ती कब और क्यों मनाते हैं? अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी है, गाँधी जी का जीवन–परिचय, गाँधी जी के हथियार और आदर्श, गाँधी जी की समाज–सेवा, गाँधी जयन्ती के कार्यक्रम, हमें गाँधी जी के आदर्शों पर चलना चाहिए।
2 अक्तूबर, 1869 को गाँधी जी के रूप में भारत में एक महापुरुष का जन्म हुआ था । राष्ट्र गाँधी जी के जन्मदिन को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाता है । गाँधी जी के जन्मदिन को पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसकी घोषणा सन् 2007 में की थी।
गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। वे गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान में एक सामान्य परिवार में जन्मे थे। पिता करमचन्द गाँधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली महिला थीं । गाँधी जी को अच्छे पारिवारिक संस्कार मिले । उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए तो वहाँ कानून की शिक्षा पाई । अँगरेजी शिक्षा पाने के कारण देश-दुनिया और राजनीति की समझ हुई। भारत लौटकर वकालत के काम से दक्षिण अफ्रीका चले गए। परन्तु गाँधी जी कचहरी में वकालत करने के लिए नहीं बने थे । वे वास्तव में दीन-दु:खी लोगों और दलितों की वकालत करने के लिए जन्मे थे। उन्होंने मानवता की सेवा के लिए जन्म लिया था । दक्षिण अफ्रीका में ही अहिंसक आंदोलन और सत्याग्रह के नए विचारों की नींव पड़ी।
गाँधी जी अच्छी तरह जानते थे कि दुनिया भर में फैली ताकतवर अंगरेजी सत्ता को हथियारों के बल पर नहीं हराया जा सकता । इसलिए उन्होंने त्याग, संयम, अहिंसा, सादगी, सेवा, सत्य और सहिष्णुता को अपना हथियार बनाया । इन्हीं साधनों के बल पर भारत में अँगरेजी शासन को उखाड़ फेंकने का बीडा उठाया। अपने हाथ से काते हुए सूत की लंगोटी पहनने लगे । चरखे को गाँव-गाँव तक पहुँचाकर लोगों को स्वावलम्बी बनाने का प्रयास किया। अनपढ लोग भी गाँधी जी की बात समझने लगे।
गाँधी जी ने अछूतों के उद्धार का संकल्प लिया । हरिजनों को समाज में उचित स्थान दिलाया । जाति और धर्म के आधार पर किसी को सताए जाने के खिलाफ जन-आंदोलन चलाया । गाँधी जी की एक आवाज पर लाखों लोग देश के लिए मर-मिटने के लिए तैयार हो जाते थे । उन्होंने देश में देशभक्त नेताओं की एक बड़ी फौज तैयार कर दी । पूरी दुनिया इस अधनंगे फकीर का चमत्कार देख रही थी । अँगरेज़ी सत्ता हिल गई । आखिरकार 15 अगस्त, 1947 के दिन भारत आजाद हो गया।
गाँधी जी लोगों के दिलों पर राज करते थे । कृतज्ञ राष्ट्र गाँधी जयन्ती के दिन उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करता है । पूरे देश में गाँधी जी के सम्मान में समारोहों का आयोजन किया जाता है । बच्चे प्रभात-फेरियाँ निकालते हैं । सरकार लोगों की भलाई के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों की घोषणा करती है । राजघाट पर विशेष कार्यक्रम होते हैं । यहाँ गाँधी जी के प्रिय भजन गाए जाते हैं । स्थान-स्थान पर गाँधी मेले लगते हैं । इसमें गाँधी जी के जीवन की झाँकियाँ दिखाई जाती हैं।
आज पूरी दुनिया हिंसा और आतंकवाद से परेशान है । ऐसे में गाँधी जी के आदर्श ही काम में आ सकते हैं । गाँधी जी ऐसे समाज की रचना करना चाहते थे जहाँ गरीब, अमीर, दलित और उपेक्षित बराबरी का दर्जा पा सकें। वे नशाखोरी, छुआछूत, हिंसा और शोषण को समाज के लिए खतरा मानते थे । हमें गाँधी जी के सपनों को पूरा करने का व्रत लेना चाहिए । यही राष्ट्रपिता के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।