Hindi Biography of “Sania Mirza”, “सानिया मिर्जा” Birth, Achievements, Records, Career Info, Age, Complete Essay,Paragraph in Hindi.

सानिया मिर्जा

Sania Mirza

जन्म : 15 नवम्बर, 1986

जन्मस्थान : मुम्बई

सानिया मिर्जा ने 18 वर्ष की आयु में जो प्रसिद्धि भारत में ही नहीं, अपितु विश्व में प्राप्त की, वह किसी खिलाड़ी के लिए अत्यन्त गर्व की बात है। 2006 में उसे ‘पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। सानिया यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी है। उसे 2006 में ही अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्लूटीए का ‘मोस्ट इम्प्रेसिव न्यू कमर एवार्ड’ दिया गया।

सानिया जब 14 वर्ष की भी नहीं थी तब उसने पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट इस्लामाबाद में खेला था। 2002 में भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुसान एशियाड के पूर्व 16 वर्षीय सानिया मिर्जा को खेलते देखा और निश्चय किया कि वह सानिया मिर्जा के साथ डबल्स में उतरेंगे। फिर इस देश को कांस्य पदक दिलाया। उसके बाद सानिया ने 17 वर्ष की उम्र में विंबलडन का जुनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब जीता था।

सानिया मिर्जा के पिता इमरान मिर्जा अक्सर उसके अभ्यासों के दौरान उसके साथ रहते हैं। कभी मां तो कभी पिता सानिया के साथ रहते हैं, अतः माता-पिता दोनों साथ-साथ कम ही रह पाते हैं। सानिया पूर वर्षघर से बाहर रहती है। इमरान मिर्जा का मानना है कि सानिया को खिलाड़ी बनाने के लिए उनके परिवार को बहुत योगदान देना पड़ा है। वैसे तो किसी भी खिलाड़ी को शीर्ष पर पहुंचाने के लिए उसके पीछे कई लोगों का योगदान होता है। सानिया के लिए यह कार्य उसके परिवार ने किया। उसके परिवार ने उसे बढ़ाने के लिए अथक मेहनत की है। उसके माता-पिता ने फैसला किया था कि वे अपनी बेटी को टेनिस खिलाड़ी बनाएंगे। वे उसे स्टेफी ग्राफ जैसी बनाना चाहते थे।

इस किशोरी को शीर्ष की ओर ले जाने के लिए उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि का भी योगदान है। उसका परिवार खेलों से जुड़ा रहा है। उसके पिता इमरानमिर्जा प्रख्यात क्रिकेट खिलाड़ी गुलाम अहमद के रिश्ते के भाई हैं और वह स्वयं भी हैदराबाद सीनियर डिवीज़न लीग के खिलाड़ी रह चुके हैं। सानिया के मामा मिर्जा फैयाज़ हैदराबाद रणजी टीम में विकेट कीपर थे।

सानिया ने छह वर्ष की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया। महेश भूपति के पिता सी. के. भूपति की देखरेख में उसकी टेनिस शिक्षा शुरू हुई। हैदराबाद के निज़ाम क्लब से शुरुआत करने के बाद वह अमेरिका की एस टेनिस एकेडेमी गई। 1999 में उसने जूनियर स्तर पर पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया।

सानिया की लम्बाई 168 से.मी. है तथा वह दाहिने हाथ की खिलाड़ी है। टेनिस के अतिरिक्त उसे तैरने व संगीत सुनने का शौक है। भोजन में उसे बिरयानी खाने का बहुत शौक है परन्तु मैचों के दौरान ट्रेनर इसे खाने की अनुमति नहीं देते। उसने 2003 में विंबलडन चैंपियनशिप के लड़कियों के युगल मुकाबले में रूस की अलीसा क्लीबनोवा के साथ खेल कर खिताब हासिल किया।

सानिया के खेल का महत्त्वपूर्ण पहलू पहले सर्व करना है। उसकी ट्रेनिंग सिनेट टेनिस एकेडेमी, हैदराबाद में हुई है। उसके कोच पी.ए. जैन हैं। वी. के. ग्रुप आफ इन्डस्ट्रीज़ उसकी हवाई यात्रा का खर्च उठाती है। एडिडास कंपनी उसके जूते-कपड़े, टेनिस रैकेट सप्लाई करती है। ये कंपनियां उसे 12 वर्ष की उम्र से ही स्पांसर कर रही हैं।

सानिया मिर्जा भारत की पहली महिला टेनिस खिलाड़ी है जिसने ग्रैंड स्लैम खिताब जीता है। विबंलडन का यह खिताब जीत कर उसने इतिहास रच डाला है। सानिया से साक्षात्कार के दौरान यह पूछे जाने पर कि भारतीय महिलाएं आज तक टेनिस में आपकी तरह आगे क्यों नहीं बढ़ सकीं, कहा कि भारतीय लड़कियोंकी प्रायः कम उम्र में शादी हो जाती है और खेलने के समय अच्छे स्पांसर नहीं मिल पाते। सानिया अपना आदर्श स्टेफी ग्राफ को मानती है।

8 अगस्त, 2004 को सानिया मिर्जा ने जबरदस्त वापसी करते हुए शीर्ष वरीयता प्राप्त रूस की इरिना बोलीकिना को ब्रिटेन के रैक्सहैम में 1-6, 6-4, 6-1 से हराकर 10 हजार डालर का आई.टी.एफ. महिला टेनिस टूर्नामेंट जीत लिया। यह सानिया का आठवां प्रोफेशनल खिताब है।

वर्ष 2005 में सानिया मिर्जा खेलों की सुर्खियों में रहीं। उनका प्रदर्शन व कामयाबी इस कदर चर्चा में रही कि उसे भारत में सचिन तेंदुलकर के बाद सबसे बड़ा स्टार माना जाने लगा। वर्ष के शुरू में उनकी विश्व रैंकिंग 166 पर थी तो वह प्रथम सौ में आना चाहती थी लेकिन 1 वर्ष के अंतराल में ही उसने सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए प्रथम 50 रैंकिंग में स्थान पा लिया। यह उपलब्धिकेवल सानिया के लिए ही नह, भारत के लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

हैदराबाद की 18 वर्षीया सानिया मिर्जा ने जनवरी 2005 में भारतीय टेनिस के इतिहास में एक नया सुनहरा अध्याय जोड़ दिया। वह आस्ट्रेलियन ओपन में हंगरी की पेत्रा मैडला को हराने के साथ ही किसी ग्रेड स्लैम टूर्नामेंट के तीसरे राउंड में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई। वह उस वक्त भारत के अखबारों की सुर्खियों में छा गईं।

उनका मुकाबला सातवीं वरीयता प्राप्त सेरेना विलियम्स से था जब कि सानिया का उस वक्त 166वां स्थान था। हंगरी की मैंडुला भी 84 वरीयता प्राप्त खिलाड़ी थी, जिसे उन्होंने हराया था। यद्यपि सेरेना विलियम्स से मुकाबले में सानिया मिर्जा हार गई परन्तु दर्शकों व मीडिया से उसे खूब सराहना मिली।

19 वर्ष की उम्र में सानिया को 2006 का ‘पद्मश्री सम्मान दिया गया है। वह इस सम्मान से नवाज़ी जाने वाली सबसे कम उम्र की चर्चित हस्ती है।

सानिया के परिवार में उसके माता-पिता के अतिरिक्त बहन आनम है। मां का परिवार मुम्बई तथा पिता के पारिवारिक रिश्तेदार अमेरिका में रहते हैं। उसकी नाक में पहनी रिंग आज उसकी पहचान बन चुकी है।

2004 की शुरुआत में उनकी रैकिंग 470 से शुरू हुई थी जो सानिया की मेहनत व सफलता से दिसम्बर 2005 में 34 तक पहुंच गई। आज हर भारतीय के दिमाग में यही सवाल है कि सानिया मिर्जा कहां तक जाएगी। पिछले 20 वर्षों में कोई भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी 50 के नीचे नहीं आ पाया है। लिएंडर पेस 73 से आगे नहीं बढ़ पाए थे। 1980 में विजय अमृतराज 16 तक जा पहुंचे थे। उसके पांच वर्ष बाद 1985 में रमेश कृष्णन 23 की रैंकिंग तक चले गए। थे, जबकि 60 के दशक में रामानाथन कृष्णन नम्बर तीन पर थे। अभी सानिया को रमेश कृष्णन की बराबरी करनी है। विजय अमृतराज और रामानाथन तो अभी बहुत दूर हैं। यों तो उसकी रेटिंग फिर ऊपर जा चुकी है, पर यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि वह कौन सा मुकाम हासिल कर पाती है?

मई, 2006 में पांचवीं वरीयता प्राप्त सानिया मिर्जा को 2 लाख अमेरिकी डालर वाली इस्ताबुल कप टेनिस के दूसरे ही राउंड में हार का मुंह देखना पड़ा। फिर भी सानिया की लोकप्रियता भारत में दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।

मार्च 2005 में एक परिधान कंपनी ने सानिया के नाम पर सिगनेचर लाइन चलाने की घोषणा की। इस प्रकार कंपनी की ब्रांड अम्बेसडर बनने पर सानिया विश्व की चौथी ऐसी खिलाड़ी बन गई जिसके नाम पर परिधानों की सिगनेचर लाइन चलती है। इससे पूर्व आंद्रे अगासी, स्टेफी ग्राफ, और स्टीफन एडबर्ग कीही सिगनेचर लाइन चलती है।

दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में सानिया मिर्जा ने लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुकाबले में दोहा एशियाई खेलों में सानिया ने रजत पदक जीता। महिला टीम का रजत पदक भी भारतीय टेनिस टीम के नाम रहा–जिसमें सानिया के अतिरिक्त शिखा ओबेराय, अंकिता मंजरी और इशा लखानी थीं।

सानिया की सर्वश्रेष्ठ विश्व रेंकिग 31 तक पहुंच चुकी है जो जापान में अच्छे प्रदर्शन के बाद मिली थी। 2006 के प्रथम छह महीने में ही उसकी रैंकिंग पुनः 50 के ऊपर चली गई क्योंकि वह अनेक बड़े मुकाबलों के दूसरे-तीसरे राउंड में हार गई।

मुस्लिम परिवार से होने के कारण अक्सर कट्टर मुस्लिमों द्वारा उसके खेल के दौरान पहने जाने वाले वस्त्रों (छोटी स्कर्ट) की आलोचना होती रहती है। भारत जैसे देश में, जहां सफल खिलाड़ियों का विश्व स्तर पर अभाव सा है, सानिया की थोड़ी सी सफलता व सुन्दर व्यक्तित्व ने उसे अत्यन्त चर्चित व लोकप्रिय बना दिया है।

अब देखना यह है, वह विश्व रैंकिंग में प्रथम दस में स्थान कब तक पाती हैं? यों तो पिछले बीस वर्ष में कोई भारतीय खिलाड़ी 50 की रैकिंग के नीचे नहीं आ पाया। लिएंडर पेस 73 तक पहुंचे थे। 1980 में विजय अमृतराज 16 तक जा पहुंचे थे। पांच वर्ष बाद रमेश कृष्णन 23 तक चले गए थे। रामानाथन कृष्णन साठ के दशक में नंबर तीन तक पहुंच गए थे। सानिया को पहले रमेश कृष्णन की बराबरी करनी है अर्थात 25 से नीचे आना है। विजय अमृतराज और रामानाथन कृष्णन की रैंकिंग से वह बहुत दूर है।

उपलब्धियां :

  • नवम्बर 1999-पाकिस्तान इन्टेल जी 5 में सानिया मिर्जा ने युगलमुकाबला जीता व एकल में फाइनल तक पहुंची।
  • सितम्बर 2000–भारत के आई टी एफ-मुम्बई जी-4 मुकाबले में एकलमुकाबला जीता व यगल के सेमीफाइनल में पहुंची।
  • अक्टूबर 2000-पाकिस्तान इन्टेल जूनियर चैंपियनशिप जी 5 मुकाबले में एकल व युगल मुकाबला जीता। युगल मुकाबलों में उसकी जोड़ी पाकिस्तान के जाहरा उमर खान केसाथ थी।
  • जनवरी 2001-भारत के आई टी एफ जूनियर एक के नई दिल्लीजी एफ मुकाबले में सानिया मिर्जा ने युगल मुकाबला जीता व एकल मुकाबले में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची।
  • जनवरी 2001 में ही आई टी एफ 1 के चंडीगढ़ जी-4 मुकाबले में एकल व युगल मुकाबले जीते।
  • फरवरी 2001 में बांग्लादेश इन्टेल जी-3 में एकल, जुलाई 2001 मेंमूव एंड पिक इन्टेल जी-3 में एकल व युगल, स्मैश इन्टेल जी-4 मेंजुलाई 2001 में युगल मुकाबला जीता।
  • जनवरी 2002 में विक्टोरियन चैंपियनशिप आई टी एफ जी-2 मुकाबले में युगल प्रतियोगिता जीती।
  • जुलाई 2002 में पी आई सी प्रिटोरिया आई टी एफ जी-2 मुकाबलेमें युगल प्रतियोगिता जीती।।
  • अगस्त 2002 में साउथ सैन्ट्रल अफ्रीका सर्किट बोट्स्वाना आई टी एफ जी 3 मुकाबले में एकल व युगल मुकाबला जीता।
  • दिसम्बर 2009 में एशियाई जूनियर टेनिस चैंपियनशिप में आई टीएफ जी बी-2 मुकाबले में एकल मुकाबला जीता व युगल की सेमीफाइनलमें पहुंची।
  • वर्ष 2005 में सानिया मिर्जा ने डब्लू टी ए का हैदर ओपन का खिताबभी जीता था। इसी वर्ष सानिया अपने उत्तम टेनिस खेल प्रदर्शन के कारण भारत तथा विश्व में चर्चा का विषय बनी।
  • उसने वर्ष 2005 में विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को यू.एस. ओपन में हरा कर चौथे राउंड में प्रवेश किया। यद्यपि चौथे राउंड में सानिया मारिया शारापोवा से हार गई, परन्तु इस स्थान तक पहुंचने वाली वह प्रथम भारतीयमहिला खिलाड़ी थी।
  • दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में सानिया मिर्जा ने लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुकाबले में दोहा एशियाई खेलों में सानिया ने रजत पदक जीता। महिला टीम का रजत पदक भी भारतीय टेनिस टीम के नाम रहा–जिसमें सानिया के अतिरिक्त शिखा ओबेराय, अंकिता मंजरी और इशा लखानी थीं।

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