Bal Bhikhari “बाल भिखारी” Hindi Essay, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

बाल भिखारी

Bal Bhikhari

सुबह मैं जैसे ही स्कूल के लिए बस स्टॉप पर आया और बस में सवार हुआ तो मेरे साथ एक आठ-दस साल का बच्चा भी चढ़ा। वह फटे हाल था। मेला-कुचेला कुर्ता पहने था। वह भी दसियों जगह से फटा हुआ था। सीट पर बैठते ही उसने अपना दीनताभरा हाथ मेरी ओर फैला दिया। उसकी इस स्थिति को देखकर मुझे रहा नहीं गया और उसे पाँच रुपए दे दिए। उसने और किसी से कुछ नही माँगा। अगले स्टॉप पर बस से उतर गया। मैं सोचता रहा कि सोने की चिड़िया कहा जाने वाले भारत देश के कल के भविष्य भीख माँग रहे हैं। इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है। आखिर ऐसी नौबत क्यों आई है, क्या सरकार अपने देशवासियों का दो वक्त पेट भी नहीं भर पा रही है? दोपहर बाद जब मैं स्कूल से वापस आया तो मुझे एक झोंपड़ी दिखाई दी। उस झोंपड़ी के भीतर वही बच्चा दिखाई दिया। मैं उस झोंपड़ी के निकट आ गया। इस बार उसकी माँ उसके पास थी। वह भी फटेहाल थी। पता चला कि पिता को इस दुनिया से गए दस साल हो गए हैं। माँ घरों में काम करती थी। अब बीमार है और पेट भरने के लिए दोनों ही भीख मांगने का काम करते हैं। क्या प्रशासन को ऐसे बच्चों की तलाश कर उनके खाने-पीने और रहने का इंतजाम कर अच्छे स्कूल में पढ़ाने का काम नहीं करना चाहिए? इस दिशा में एन.जो.ओ. अच्छा काम कर सकते हैं और कर भी रहे हैं। अगर इस तरह बच्चे घरों में बाजारों में भीख मांगते रहे और उनके पुनरोद्धार के काम नहीं किए गए तो एक दिन यही बच्चे बड़े होकर जघन्य अपराधों में लग जाएंगे। यह कटु सत्य है ऐसे बच्चे वही हो सकते हैं जिन्होंने हालात ने भीख माँगने को विवश कर दिया है। प्रशासन के सहयोग से बाल भिखारियों को नया जीवन मिल सकता है और इस ओर नागरिकों को भी आगे आना होगा।

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