मेरी माँ
Meri Maa
निबंध नंबर :- 01
माँ एक घने पेड़ की तरह अपने बच्चों को अपने स्नेह की छाया में रखती है।
इ स पर मेरी माँ भी मुझे बहुत प्यार करती है। वे लंबी और पतली हैं। उनके छोटे-छोटे बाल सदा कानों के पीछे रहते हैं। मेरी माँ चश्मा पहनती हैं।
मेरी माँ राजमाँ-चावल, जलेबी और हलवा बनाकर मुझे खिलाती हैं। वे मुझे सुंदर कपड़े, जूते और खिलौने दिलाती हैं। वे मेरे साथ तरह-तरह के खेल भी खेलती हैं। माँ मेरे मित्रों को भी बिठाकर खूब पकवान खिलाती हैं और फिर हम सबके साथ छुपा-छुप्पी का खेल भी खेलती हैं।
माँ मेरी पढ़ाई का भी ध्यान रखती हैं। वे परीक्षा के समय बहुत सख्ती से मुझे पढ़ाती हैं और अच्छे अंकों पर मुझे शाबाशी देती हैं। माँ ने मुझे कभी नहीं डाँटा। वे सदा प्यार से ही मुझे समझाती हैं।
निबंध नंबर :- 02
मेरी माँ
Meri Maa
माँ का रिश्ता दुनिया के सब रिश्ते-नाते से उपर है। माँ शब्द कहकर आनन्द और सुःख मिलता है। माँ को हमारे शास्त्रों में भगवान् माना गया है। जैसे भगवान् हमारी रक्षा, सुःखों-दुःखों से छुटकारा, हमारा पालन-पोषण करते हैं। हमारी हर चाह को पूर्ण करते हैं वैसे ही हमारी माँ भी हमारी रक्षा करती है- पालन पोषण करती है। माँ स्वयं दु:ख सहन कर बच्चों को सुख देती है। मुझे मेरी माँ दुनिया में सबसे अच्छी लगती है, प्यारी लगती है। माँ मेरी हर आवश्यकता का ध्यान रखती है। मेरी माँ घर में सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठती है। घर की सफाई करने के बाद स्नान करती है। स्नान के बाद पूजा से निवृत होकर हमें जगाती है। हम भाई-बहिन उठकर नहाने धोने के काम में लग जाते हैं। माँ हम सबके लिए नाश्ता तैयार करती है। नाश्ता करवा कर हमें स्कूल भेजने में हमारी सहायता करती है। दोपहर का खाना हमें डिब्बों में बंद करके देती है। हमें भेजने के बाद पिता को नाश्ता करवा कर उनके लिए दोपहर का खाना तैयार कर उन्हें दफ्तर भेजती हैं। आधी छटी के समय हम सभी मित्र इकठे बैठ कर खाना खाते हैं। कभी-कभी हम एक-दूसरे का खाना भी खाते हैं। मेरी माँ के हाथ का बना खाना बड़ा स्वादिष्ट होता है। मेरे मित्र मेरी माँ के हाथ का बना खाना बड़ा पसन्द करते हैं।
Nice Information
Very good essay sir
Verry good esay on maa 🥺🥺🥺😊