Hindi Essay on “Jab Hum do golo se pichad rahe the”, “जब हम दो गोलों से पिछड़ रहे थे”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

जब हम दो गोलों से पिछड़ रहे थे

Jab Hum do golo se pichad rahe the

हमारे विद्यालय की फुटबॉल टीम का चंडीगढ़ की टीम से मुकाबला था। कुछ समयोपरांत मैच उस रोमांचक बिंदु पर पहुँच गया, जब हमारी टीम दो गोलों से पिछड़ने लगी। दोनों टीमों के कोच भी अपनी-अपनी यम को प्रोत्साहित करने में जुटे थे। खिलाड़ियों के लिए तो यह प्रतिष्ठा का ही नहीं वरन् जीवन-मरण के प्रश्न जैसा प्रतीत हो रहा था। दोनों यमों के खिलाड़ियों का उत्साह एवं आत्मविश्वास देखने योग्य था। तभी हमारी येम की तरफ से एक गोल दाग दिया गया। दर्शक खुशी से झूमने लगे। अब तो मुकाबले में बेहद रोमांच पैदा हो गया था। हमारी टीम को मैच बराबरी पर लाने के लिए केवल एक गोल की आवश्यकता थी। मेरे दिमाग में मेरे कोच की बातें गूंज रही थीं- “जी भर कर खेलो, पर दिमाग से खेलो। जी लो इस समय को ! महसूस करो कि यह मेरे जीवन का सबसे यादगार लम्हा है। इसके साथ ही मैं तनावरहित होकर जीत की दिशा में अग्रसर हो गया। कुछ देर में ही मैं टीम का हीरो बन गया, जब मैंने दनादन दो गोल दागकर प्रतिपक्षी टीम को हरा दिया। सारा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। हमारी टीम ने इतिहास रच डाला था। टीम के कोच भी बहुत भावुक होकर मेरी पीठ थपथपाने लगे। दर्शक मित्रों का साँस रोककर मैच देखने का रोमांच भी खुशी में तब्दील हो चुका था। टीम के बाकी खिलाड़ियों के कंधों पर सवार मैं अपने जीवन के सर्वाधिक यादगार पल को, ईश्वर को धन्यवाद देता महसूस कर रहा था। 

Leave a Reply