Hindi Essay on “Badhti hui Jansankhya ”, “बढ़ती हुई जनसंख्या”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

बढ़ती हुई जनसंख्या

Badhti hui Jansankhya 

भूमिका- भारत 1947 में स्वतन्त्र हुआ था। जो विकास इन 63 वर्षों में होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ। आज भी हमारे देश का नाम पिछड़े हुए देशों के साथ लिया जाता है। आज ही बहुत सी समस्याएं हमारे सामने मुँह खोले खड़ी हैं जिनमें से सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। इसीलिए भारत सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए ‘परिवार नियोजन’ की योजना बनाई है, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है।

प्राचीन- नवीन स्थिति- वेदों में 10 पुत्रों की कामने की गई है। सवित्रि ने यमराज से अपने लिए सौ भाईयों की तथा 100 पुत्रों का वर मांगा था। कौरव भी सौ भाई थे। सन् 1981 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 78.5 करोड़ थी। आजादी के पश्चात हर मास भारत में 10 लाख के लगभग आबादी बढ़ रही है। सन् 2000 में भारत की जनसंख्या 100 करोड़ से भी अधिक हो चुकी थी। सन 2011 में भारत की जनसंख्या लगभग 121 करोड़ हो चुकी है। इस स्थिति में भोजन, कपड़ा और आवास का तो अभाव हो ही जाएगा, इसके अतिरिक्त और भी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण- बढ़ती हुई जनसंख्या के अनेक कारण हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. निर्धन परिवारों में आमोद-प्रमोद के अन्य साधन न होने के कारण आत्म तृप्ति या थकावट दूर करने के नाम पर सन्तान की वृद्धि होती है।
  2. अशिक्षित स्त्री-पुरुष सन्तान उत्पन्न करना ही ग्रहस्थ धर्म का लक्ष्य मानते हैं।
  3. परिवार नियोजन के अन्र्तगत जो गर्भ निरोधक उपकरण बनाए गए हैं, वे पर्ण तथा सफल नहीं हुए है।
  4. अनपढ़, अन्धविश्वासी तथा रूढ़िवादी लोग सन्तान को भाग्य तथा भगवान की देन मानते हैं।
  5. कछ लोगों का विचार है कि गर्भ निरोधक के प्रयोग से जीवन हत्या होती है तथा वे लोग इसका विरोध करते हैं।
  6. मजदूर वर्ग की धारणा है कि जितने अधिक हाथ होंगे उतनी मजदूरी अधिक मिलेगी। इसीलिए वे सन्तान उत्पन्न करने में विश्वास रखते हैं।

जनसंख्या की वृद्धि कम करने के उपाय- भारत सरकार ने जनसंख्या की बढ़ौतरी को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने विवाह की आयु निश्चित कर दी है। कम उम्र में विवाह करना गैर-कानूनी समझा जाता है। सरकार ने जनसंख्या की वृद्धि को कम करने के लिए परिवार नियोजन पर भी बल दिया है। अविवाहित पुरुषों और स्त्रियों को पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। दम्पति को इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि उनकी सन्तान एक या दो से अधिक न हो। परिवार में लड़का हो या लड़की उसका अन्तर नहीं समझना चाहिए। स्वेच्छा से नसबन्दी करवाने वाले को उचित सुविधाएं और धन दिया जाए। विवाह देर से करवाने पर भी जनसंख्या पर काबू पाया जा सकता है।

परिवार नियोजन का महत्त्व- परिवार नियोजन से मनुष्य को अनेक लाभ होंगे। ‘छोटा परिवार’ को सुखी परिवार कहा गया है, परिवार में अधिक सन्तान होने से बच्चों के पालन-पोषण व शिक्षा-दीक्षा का उचित प्रबन्ध नहीं हो पाता। घर में अधिक सदस्य होने से लड़ाई का माहौल बना रहता है। अधिक सन्तान होने से माँ का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। ज्यादा सन्तान के रहने से उनकी बिमारी पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता जिससे वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।

उपसंहार- सारांश में यह कहा जा सकता है कि जनसंख्या की वृद्धि से देश के विकास में वाधा पड़ेगी और अनेक समस्याएं उत्पन्न होंगी। इसके समाधान का प्रमुख साधन परिवार नियोजन ही है। हमें जनता में परिवार नियोजन के प्रति जागृति लानी होगी। हमें केवल सरकार के भरोसे नहीं रहना होगा। इस कार्य में हर नागरिक का सहयोग चाहिए। तभी हम इस समस्या का हल ढूंढ सकेंगे।

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