Pradushan – Ek Stat Chunauti “प्रदूषण – एक सतत चुनौती” Latest Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 and Graduation Examination.

प्रदूषण – एक सतत चुनौती

Pradushan – Ek Stat Chunauti

समस्त जीवधारियों का जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जीव का जीवन, उसकी शक्ति एवं उसका विकास पर्यावरण की गोद में ही विकसित होता है। प्रकृति और पर्यावरण हमें विरासत में मिला है।

मूल रूप में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण प्रदूषण की मुख्य समस्या है। पर्यावरण प्रदूषण आज विभिन्न रूपों में सामने आ रहा है। जिनमें प्रमुख हैं-भूमि-प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण आदि। भूमि-प्रदूषण के मुख्य कारण बाँध और हमारे अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है। बाँधों के कारण भूमि का अपक्षय होता है। कल कारखाने, मोटर-स्कूटर, रेलें, बसें दिन-रात धुएँ के बादलों के रूप में वायु-प्रदूषण करते हैं। कार्बन डाइ ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, कार्बन मोनो ऑक्साइड का प्रभाव मनुष्य ही नहीं वरन पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। पराबैंगनी किरणें कैंसर जैसे भयंकर रोगों को जन्म दे रही हैं। शुद्ध वायु अशुद्ध होती जा रही है।

औद्योगीकरण ने जल-प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चीनी, कपड़ा, जूट, रसायन, आदि उद्योगों का सारा कचरा नदियों और जलाशयों के जल को निरन्तर प्रदूषित कर रहा है। प्रदूषित जल पीने के कारण बीमारियों में बढ़ोत्तरी हो रही है। ध्वनि-प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। औद्योगीकरण एवं मशीनीकरण ध्वनि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। धार्मिक संस्कार, त्योहार एवं लाउडस्पीकर आदि भी ध्वनि-प्रदूषण के विस्तार में सहायक हैं। 40 से 45 डेसीबल तक की सामान्य ध्वनि सीमा 110 डेसीबल तक पहुँच गई है।

भूमि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अनावश्यक बाँधों के निर्माण, वनों की कटाई तथा रासायनिक उर्वरकों के अतिशय प्रयोगों पर रोक लगानी चाहिए। जल-प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों में प्रयुक्त दूषित जल को सीधे नदियों, जलाशयों में न छोड़ा जाए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक है कि उद्योगों की चिमनियों पर ऐसे फिल्टर लगाए जाएँ जो धुएँ आदि प्रदूषणकारी तत्वों को वायुमण्डल में न मिलने दें। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण-बढ़ती हुई जनसंख्या पर शीघ्र अंकुश लगाया जाए। यदि समय रहते हम पर्यावरण संरक्षण के लिए सजग नहीं हुए तो निश्चित ही मानव का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा।

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