Drought “सुखा या अकाल” Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph for Class 8, 9, 10, 12 Students.

सुखा या अकाल

Drought

प्राकृतिक आपदाओं में अकाल का प्रमुख स्थान है । भारत में अकाल एक समस्या बनकर आती है । अकाल या सूखे की स्थिति बहतों के लिए जानलेवा बन जाती है । वर्षा की अधिकता जहाँ बाढ़ का रूप ले लेती है वहीं वर्षा का अभाव सूखे की समस्या को जन्म देता है । सूखे की स्थिति बाढ़ की स्थिति से अधिक कठिन होती है।

हमारे देश में वर्षा मानसून पर निर्भर है । मानसून की वर्षा देश के सभी भागों में समान रूप से नहीं होती है। देश के जिन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है वहाँ अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । इस स्थिति में चारों ओर पानी का अभाव हो जाता है । तालाब, झील, नदियाँ और कुएँ सूख जाते हैं । खेतों में दरारें पड़ने लगती हैं । धरती की हरियाली गायब हो जाती है । मनुष्य तथा पशु-पक्षी प्यास से व्याकुल होने लगते हैं । लोग जल की बूंद-बूंद के लिए तरस जाते हैं।

सूखे की दशा में खेती चौपट हो जाती है। किसान बहुत मेहनत करके जिस फसल को लगाते हैं वह सूखकर नष्ट हो जाती है । फसल नहीं होने से अनाज तथा अन्य खाद्य-पदार्थों का अभाव हो जाता है । खाद्य-पदार्थों की कीमतें आसमान छुने लगती हैं । जब मनुष्यों को भोजन नहीं मिल पाता, तो मवेशियों को कौन पूछे ! पालतू और घरेलू पशु-पक्षी चारे के अभाव में मरने लगते हैं । पशपालकों को अपने पशुओं के साथ दूसरे स्थानों की ओर जाना पड़ता है । गरीब लोग रोजी-रोटी की तलाश में बड़े शहरों की ओर भागते हैं। लोगों का जीवन संकट में पड़ जाता है।

सूखे की स्थिति बहुत भयानक होती है । पेड़-पौधे जल के अभाव में झुलस जाते हैं । चारों ओर भयानक दृश्य दिखाई देता है । हर कोई परेशान और हताश हो जाता है । कृषक आसमान की ओर निहारता रहता है । वह इन्द्र देवता से वर्षा की प्रार्थना करता रहता है । धरती की घास गायब हो जाती है । खेतों में दरारें पड़ जाती हैं। जल-पक्षी अपना निवास स्थान छोड़कर दूसरे स्थानों की ओर चले जाते हैं । हर कोई भूखा-प्यासा दिखाई देता है । पर्यावरण असंतुलित हो जाता है ।

सूखा एक प्राकृतिक आपदा है । परन्तु इसके लिए कुछ हद तक मनुष्य भी जिम्मेदार है । मनुष्यों ने अपने फायदे के लिए जंगल नष्ट कर दिए हैं । जहाँ जंगल नहीं हैं वहाँ वर्षा कम होती है । पेड़ न केवल वर्षा कराते हैं बल्कि जमीन के भीतर पानी को सोखकर भी रखते हैं । इसलिए हमें अधिक संख्या में पेड़ लगाने चाहिए । पेड़ सूखे की स्थिति में हमारी बहुत सहायता. करते हैं । ये सूखे की स्थिति में मनुष्यों के लिए फल और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराते हैं । जंगलों की सूखी लकड़ी ग्रामीणों के लिए जलावन का कार्य करती है। जंगलों के होने से अकाल का सामना करना आसान हो जाता है।

आज विज्ञान का युग है । इस युग में प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करना आसान हो गया है । जब कहीं सूखा पड़ता है तो सरकार वहाँ खाने-पीने की चीजें पहुँचा देती है । पीने का पानी नहरों और बाँधों से पहुँचाया जाता है । ट्रकों और मालगाड़ियों से पशुओं के चारा भेजा जाता है । अत: सूखे की स्थिति में भी मनुष्यों और पशुओं के प्राण बच जाते हैं । फिर भी सूखे का स्थायी हल निकालना जरूरी है । इसके लिए आम लोगों को जल संरक्षण के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।

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