Navratri (Durga Puja) “नवरात्रि (दुर्गापूजा)” Hindi Essay, Paragraph for Class 9, 10 and 12 Students.

नवरात्रि (दुर्गापूजा)

Navratri (Durga Puja)

चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से नौ दिन तक और आश्विन शुक्ला प्रतिपदा से नौ दिन तक प्रकट नवरात्रि मनाई जाती है। पहली वासंतिक नवरात्रि व दूसरी शारदीय नवरात्रि कहलाती है। चैत्र नवरात्रि का समापन परिणति में श्रीराम नवमी के रूप में प्रकाश की ओर जाता है और आश्विन नवरात्री का समापन विजयादशमी के रूप में बुराई पर अच्छाई की जीत की ओर जाता है। दोनों ही नवरात्रि का समापन राम से संबद्ध है। वासंतिक में सूरज उत्तरायण होते हैं अर्थात् सूर्य उत्तर की ओर होता हुआ अस्त होता है तथा शारदीय नवरात्रि में दक्षिणायन होता है अर्थात् सूर्य दक्षिण की ओर से अस्त होता है।

दुर्गा नाम की भारी महिमा है। दुर्गा राक्षस का संहार करने के कारण माता का नाम दुर्गा पड़ा। भारतीय संस्कृति में नारी को उच्च स्थान प्रदान किया गया है। माँ दुर्गा नारी शक्ति का प्रतीक मानी गयी हैं। नवरात्रि इसीलिए शक्ति-उपासना के दिन माने जाते हैं। ये नौ दिन माँ के नौ रूपों के प्रतीक हैं। माँ दुर्गा के नौ रूप इस प्रकार माने जाते हैं-शैलपुत्री, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा स्कंदमाता, ब्रह्मचारिणी, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री ।

आदिशक्ति माँ दुर्गा की आराधना के इन नौ दिनों की प्रतीक्षा सिद्ध योगियों, तांत्रिकों और गृहस्थों आदि सभी को रहती है। शास्त्रों में दुर्गा अर्थात् शक्ति को रक्षक और माता माना गया है। पौराणिक काल में देवी ने महिषासुर, रक्तबीज, शुंभ-निशुंभ, चंड-मुंड आदि अनेक असुरों का संहार किया था।

देवी जगत की माँ है इसीलिए उसके प्रति श्रद्धा और निष्कपट भावना रखना ही उसकी सच्ची पूजा है। नवरात्रि के ये नौ दिन सर्वाधिक पवित्र दिन माने गए हैं। इन दिनों में हर शुभ काम किया जा सकता है। इन दिनों व्रत व उपवास भी रखे जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि दुर्गापाठ करने वालों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कहते हैं ‘दुर्गा सप्तशती’ में तो दुर्गा का ही अंश समाया हुआ है, इसलिए इस सात सौ श्लोकों की ‘सप्तशती’ का उच्चारण सही होना चाहिए।

भगवती दुर्गा की उपासना वैदिक काल से ही चली आ रही है। विभिन्न युगों में विविध रूपों को धारण कर माँ भगवती ने आसुरी शक्तियों का दमन किया। वे जन-जन के हृदय में दया, शुचिता, धैर्य, विद्या, बुद्धि, क्षमा, क्रोध आदि गुणों का भाव उत्पन्न करने वाली हैं। वास्तविकता तो यह है कि एक माँ दुर्गा का पूजन करने भर से सभी देवताओं के पूजन की सिद्धि तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। संपूर्ण विश्व माँ के प्रकाश से प्रकाशित हो रहा है। यही माँ महामाया, काली, गौरी, पार्वती आदि विविध नामों से जानी जाती हैं।

नौ दिन माँ की पूजा, अर्चना, आराधना होती है और दसवें दिन समुद्र या पवित्र नदी-सरोवर में माता की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है। बंगाल में यह सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। पूरा बंगाल नौ दिन तक ‘दुर्गामय’ हो जाता है। अत्यधिक श्रद्धा, उल्लास और धार्मिक भावना के साथ वहाँ दुर्गा पूजा पर्व मनाया जाता है। कहीं यह काली के रूप में होती है तो कहीं दुर्गा या अष्टभुजा के रूप में विराजती है।

गुजरात में भी आद्यशक्ति माँ दुर्गा की पूजा ‘अंबामाता’ के रूप में होती है। शक्तिपूजा का भाव सभी प्राचीन सभ्यताओं में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है। गुजरात में नवरात्रि के दौरान महिलाएँ गरबा नृत्य करके माँ भगवती को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करती हैं। माता के आगे अखंड दीप जलाया जाता है जो नौ दिन तक अपना आलोक फैलाए रखता है। यह अखंड दीप कभी ‘गर्भदीप’ के नाम से परिचित था । ‘गरबा’ इसी का बिगड़ा रूप है। भारत में नृत्य का उद्गम पूजा, आराधना और ईश्वर की वंदना से ही हुआ है। गुजरात का ‘गरबा नृत्य’ भी भक्ति की भावना से प्रेरित है। नौ रातों को गुजरात के गाँवों और नगरों में गोधूलि से लेकर ब्रह्ममुहूर्त तक गरबा नृत्य चलता रहता है।

गुजरात में भी गेहूँ के ‘जवारे’ उगाए जाते हैं। पहले दिन इन्हें आद्यशक्ति का रूप मानकर विधिपूर्वक इनकी प्रतिष्ठा की जाती है। गरबा नृत्य में डंडियाँ, ढोल और मंजीरों का उपयोग किया जाता है।

माँ दुर्गा ममतामयी माँ है। अन्नपूर्णा है। इसकी आराधना सच्चे मन से करने वाले की यह हर तरह से रक्षा करती है।

आज पूरे भारत में गणेश व दुर्गा की पूजा का चलन दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। नवरात्रि में सच्चे मन से माँ की पूजा-आराधना की जानी चाहिए।

कैसे मनाएं दुर्गाष्टमी 

How to celebrate Durgashtami

  1. माँ दुर्गा की तस्वीर रखें।
  2. माल्यार्पण कर दीप जलाएँ ।
  3. माँ दुर्गा के नौ रूपों के बारे में बच्चों को जानकारी दी जाए।
  4. माता ने किन-किन असुरों का कैसे संहार किया यह बताया जाए। 5. माता की नियमित पूजा-अर्चना करने के लाभ व महत्व बच्चों को समझाएँ ।
  5. माता की झाँकी सजाएँ।
  6. ‘दुर्गा सप्तशती’ के बारे में बच्चों को बताएँ ।
  7. माता के ‘रक्षा कवच’ व दुर्गा चालीसा का संगीतमय पाठ किया जाए।
  8. माता के भजनों की प्रतियोगिता आयोजित की जाए।
  9. गरबा नृत्य का आयोजन किया जाए।
  10. गुजरात और बंगाल में दुर्गापूजा पर होने वाले आयोजनों के बारे में बताया जाए।

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