Hindi Essay on “Rajiv Gandhi”, “राजीव गांधी”, Hindi Nibandh, Anuched for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

राजीव गांधी

Rajiv Gandhi

निबंध नंबर -: 01

भूमिका- विश्व एक रंगमंच है। मानव नाटक के पात्र के समान है। नाटक में पात्र अपना-अपना अभिनय करते हैं। भारत में नायक और अन्य पात्र अपने अभिनय से अपना व्यक्तित्व बनाते हैं ।अपने अभिनय के द्वारा वे लोगों पर अपनी छाप छोडते हैं। भारतीय राजनीति के रंगमंच पर राजीव गाँधी का उदय नाटक के नायक की भान्ति हुआ है। अपनी ख्याति के पीछे उनके परिवार वालों को कोई योगदान नहीं है। जब भारतीय राजनीति घने बादलों से घिरी हई थी तो ऐसे समय में राजीव गांधी का जन्म हुआ।

जीवन परिचय- श्री राजीव गांधी का जन्म 20 अप्रैल 1944 ई० को बम्बई में हुआ था। उनकी माता का नाम श्रीमती इन्दिरा गांधी था जो विश्व विख्यात थी। पिता पारसी धर्म के श्री फिरोजशाह गांधी थे। राजीव के जन्म के कुछ समय पश्चात इन्दिरा जी बम्बई से इलाहाबाद आ गई। राजीव को आरम्भिक शिक्षा के लिए इन्हें बोर्डिंग स्कूल में रहना पड़ा। सन् 1954 में उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध विद्यालय ‘दून’ स्कूल में प्रवेश लिया और सन् 1960 में वहां से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय, श्रेणी में पास की। इस के बाद वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में चले गए। पुनः वे कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज में दाखिल हो गए जहाँ से इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर का कोर्स आरम्भ किया। राजीव ने आइसक्रीम बेचकर फैक्ट्री में काम करके तथा बेकरी में काम करके अध्ययन के लिए स्वयं धन अर्जित किया। मधुर भाषी तथा शान्त स्वभाव वाले होने के कारण वे अपने साथियों में प्रिय थे। किसी गोष्टी में उनका परिचय एक इटेलियन युवती सोनिया से हुआ जिससे वे कुछ समय पश्चात विवाह सूत्र में बंध गए। विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करके सन् 1970 में वे एयर इण्डिया में विमान चालक बन गए।

राजनीति में आगमन- 23 जून 1980 को राजीव गांधी के छोटे भाई संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई। युवा भाई की मौत ने उन्हें अकेला कर दिया। संजय गांधी, राजनीति में उनका साथ देते थे। कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने एक हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव इन्दिरा जी के प्रमुख रखा कि राजीव को राजनीति में प्रवेश करना चाहिए। मां की व्यस्तता को देखकर राजीव को राजनीति में प्रवेश करना पड़ा। 16 जून, 1981 को राजीव गांधी जी बहुमत से विजयी होकर संसद के सदस्य बन गए। 17 अगस्त, 1981 को उन्होंने लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की।

प्रधानमन्त्री के रूप में– 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इन्दिरा गांधी के सरक्षकों ने उन्हें उनके निवास स्थान पर गोलियों से छलनी कर दिया। संकट के इन क्षणों में ही 31 अक्तूबर को ही राजीव गांधी को प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। श्रीमती गांधी की मृत्यु के पश्चात राष्ट्रीय शोक के 13 दिन पूरे होने पर सातवें आम चुनाव की घोषणा हुई। दिसम्बर 1984 में चुनाव मेंराजीव गांधी को अभूतपूर्व विजय मिली। नव वर्ष 1985 के प्रथम दिन श्री राजीव गांधी निर्वाचित प्रधानमन्त्री बने। अपनी अल्प अवधि में श्री राजीव गांधी अनेक वर्षों से लटकती हुई पंजाब तथा असम की समस्याओं को सुलझाया। यह निश्चय ही उनकी बड़ी सफलता है। 24 जुलाई, 1985 को अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष सरदार हरचन्द सिंह लोंगोवाल के साथ उन्होंने ऐतिहासिक पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए। 21 मई, 1991 को मद्रास के लगभग 50 किलोमीटर दूर श्री पेरुबुदूर में रात्रि के लगभग 10 बजकर 20 मिन्ट पर एक ‘मानव बम’ द्वारा राजीव की दर्दनाक रूप से हत्या कर दी गई। उनकी हत्या एल० टी० टी० ई० की घिनोनी साजिश का परिणाम थी। 24 मई, 1991 को उनके पार्थिव शरीर को चन्दन की चिता पर शक्ति स्थल को समर्पित कर दिया।

व्यक्त्तिव– विश्व में सबसे सर्वाधिक कम आय के प्रधानमन्त्री राजीव गांधी विरोधी दलों के प्रशंसा के पात्र थे। समाज से वे शान्त और सौम्य थे। नम्रता और उदारता उनकी विशेषताएं थीं। उनका व्यक्तित्व बड़ा गम्भीर था जो दूसरों को जल्दी ही प्रभावित कर लेता था। उनकी मधुर मुस्कान सबका मन मोह लेती थी। उनका व्यक्तित्व बड़ा आकर्षक था। अपने राजनीतिक जीवन के आरम्भ में विशेष सफलता मिली थी लेकिन किए गए समझोते सिद्ध नहीं दो पाए। धीरे-धीरे राजीव जी चापलसों और मक्कारों के घेरे में आ गए। उनकी कथनी और करनी में अन्तर बढने लगा। अपनी सरकार के जटिल संकटों को सुलझाने में असफल रहे। 1989 में चुनाव हार गए और विपक्ष के नेता बने। सता से हटने के 19 महीने बाद ही फिर चुनाव आ गए। जनता ने फिर राजीव को पुनः अपना नायक बना लिया। राजनीति में हुई हिंसा से वे चिंतित थे। उन्होंने कहा था कि इस वार चुनाव में भारी हिंसा होगी और सत्य ही इस भारी हिंसा का वज्र उन पर भी टूट पड़ा और सुनहरे सपने का दु:खद अंत हो गया।

उपसंहार- राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद भारत-रत्न की उपाधि दी गई जिसे राष्ट्रपति से उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने एक सादे समारोह में प्राप्त किया। हम सब भारतीयों का यह फर्ज बनता है कि आतंकवाद और ऐसी घिनोनी हत्याओं को बंद करवाने में सरकार की सहायता करें।

निबंध नंबर -: 02

राजीव गाँधी

Rajiv Gandhi

राजीव गाँधी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे युवा प्रधानमंत्री को उस समय वे केवल 40 वर्ष के थे। वे श्रीमती इंदिरा गाँधी के सपुत्र  जो 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित रही थीं। राजीव गाँधी पिता श्री फिरोज़ गाँधी भी हमारे देश के एक महान नेता थे।

राजीव गाँधी का जन्म मुंबई में 20 अगस्त, 1944 को हुआ था। दिल्ली में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात् उन्हें देहरादून के दून स्कूल में दाखिल कर दिया गया। उन्होंने वहाँ से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से वापस आने के बाद दिल्ली के फ्लाइंग क्लग के सदस्य बन गए। फिर उन्होंने कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लिया और सह-पायलट के रूप में इंडियन एअरलाइन्स में नौकरी कर ली। उसके बाद उन्होंने इटली की सोनिया गांधी से विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे हैं-राहुल और प्रियंका।

उनके छोटे भाई संजय गाँधी 23 जन, 1980 को एक हवाई दुर्घटना मारे गए। 11 मई, 1981 को अपने अथक प्रयासों से वे कांग्रेस पार्टी क सदस्य बने और 1981 में ही वे अमेठी से सांसद चुन लिए गए। तत्पश्चात् उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव चुना गया। फिर 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गाँधी की अपने ही सुरक्षा गार्डो द्वारा हत्या के बाद राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बन गये।

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने अनेकों उनलब्धियाँ हासिल की। श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देशभर में हत्या, लूट और आगजनी होने लगी। उन्होंने इस अराजकता और अव्यवस्था को कुछ ही घंटों में शांत कर दिया। फिर दिसंबर, 1984 के अंतिम सप्ताह में लोकसभा के चुनाव हुए। इसमें उनकी योग्यता एवं कुशलता आश्चर्यजनक रूप से सबके सामने उभरकर आ गई। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा की 542 सीटों में से 411 सीटें जीत लीं। फिर उन्होंने सबसे पहले ‘लाइसेंस राज’ को समाप्त किया, शिक्षा व्यवस्था को सुधारा, विज्ञान और टैक्नोलॉजी के विकास को एक नया स्वरूप प्रदान किया और संयुक्त राष्ट्र संघ से अच्छे संबंध स्थापित किए।

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए राजीव गाँधी ने एक स्वच्छ और ईमानदार सरकार देने का अपना वादा शत-प्रतिशत पूरा किया। राजीव गाँधी 1991 में चुनाव होने तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसी चुनाव अभियान में, एक आत्मघाती एल.टी.टी.ई. महिला थेनमुली राजरतनम ने उनकी हत्या कर दी। वह दिन 21 मई, 1991 था जब उनकी उम्र मात्र 46 वर्ष थी। उस समय वे तमिलनाडु के श्री पेरूंबुदूर में थे।

तत्पश्चात् उनकी महान् उपलब्धियों और देश की सेवा के लिए उन्हें (मरणोपरांत) भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से विभूषित किया गया। इससे पूर्व श्रीमती इंदिरा गाँधी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था। ये पुरस्कार पाने वाले वे 40वें व्यक्ति थे। भारत के लिए उनकी महान् उपलब्धियाँ सदैव स्मरण रहेंगी।

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