Hindi Essay on “Bharat ke Gaon”, “भारत के गाँव”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भारत के गाँव

Bharat ke Gaon

Essay # 01

गाँव की चौपाल का यह नीम बूढ़ा

पिता की भी याद से पहले खड़ा

सघन छाया में बिछी हैं खाट कितनी

इन जड़ों पर बैठकर हुआ नव-निर्माण

भारत विविधताओं का देश है, गाँवों की प्राकृतिक शोभा ईश्वर की देन है, नगरों की कृत्रिम शोभा मनुष्य की बुद्ध की उपज है। भारतवर्ष कृषि प्रधान देश है, भारतमाता ग्रामवासिनी है। भारत की 70% जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। गाँव का नाम सुनते ही मन में एक सुंदर-सी कल्पना जन्म लेने लगती है- संपूर्ण शांत वातावरण, चारों तरफ हरियाली, पारंपरिक वेश-भूषा, पक्षियों का चहचहाना आदि। ग्वालन के हाथों की चूडियों की खनक तथा हल आर बैल ले जाते हुए किसान बैलों के गले में बँधी घंटियों से मदहोश वातावरण। लेकिन आज के गाँव की स्थिति इसके विपरीत है। गाँव नरक का पर्याय बन चुके हैं। बरसात के कारण चारों तरफ कीचड, उनसे उत्पन्न बीमारियों आज गाँव का हाल सुनाती हैं। भोले-भाले बच्चों का अशिक्षित रह जाना, बनिए के ऋण के बोझ से दबा किसान जीवन के लिए भी संघर्ष करता दिखाई देता है। आज हमें गाँवों में आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सुधार करना खेती के नए तरीके सिखाना, किसानों को शिक्षित बनाना, औरतों को भी शिक्षित बनाना होगा। उनके स्वास्थ्य पर देना होगा। इन सबके लिए गाँवों में समाज सुधार के लिए स्वयंसेवी संगठनों की स्थापना करनी होगी। उनके ज को मनोरंजक बनाने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करना होगा। इन्हीं प्रयासों से गाँव का स्तर सुधारा। सकता है तथा तभी संपूर्ण देश उत्थान के पथ पर अग्रसर होगा।

 

भारत के गाँव

Bharat Ke Gaon

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Essay # 02

मुख्य बिन्दु- • गाँवों की जनसंख्या व रहन-सहन • गाँव में किसान की स्थिति • शिक्षा का अभाव • विकास की ओर गाँव।

भारत ग्रामीण सभ्यता वाला देश है। सुमित्रानंदन पंत ने भारतमाता को ‘ग्रामवासिनी’ ठीक ही कहा है। यहाँ की अधिकतर जनसंख्या अब भी गाँवों में निवास करती है। गाँव के लोग सीधे-सादे और सरल होते हैं। उनमें शहरी जीवन जैसी महत्त्वाकाक्षा, लिप्सा और चुकाचौंध नहीं होती। हमारे गाँवों का मुख्य धंधा कृषि है। इसलिए ग्रामीण संस्कृति किसानों की ही संस्कृति है। हमारे किसान परंपराओं को पसंद करते हैं। वे आधुनिक शिक्षा और जीवन-शैली के समर्थक नहीं हैं। किसानों के बच्चे भी पढ़ लिखकरखेती से भागते हैं। वे अपनी शिक्षा का प्रयोग ग्रामीण जीवन को सुधारने में लगाने की बजाय खुद शहरों में रहना पसंद करते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। जब तक सरकार गाँवों में रहन-सहन का स्तर नहीं सुधारेगी, तब तक गाँव पिछड़े रहेंगे। ग्रामवासी भी अपने गांव के विकास की ओर ध्यान देकर ग्रामीण जीवन को सुखमय बना सकते हैं। वास्तव में शिक्षा, चिकित्सा और परिवहन के साधनों का विकास करके गाँवों को विकास की राह पर लाया जा सकता है।

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