पढ़ने का आनंद
Padhne Ka Anand
वर्तमान समय में संचार माध्यमों का बोलबाला है। युवा पीढ़ी इन्हीं संचार माध्यमों की गुलाम बनी हुई और धीरे-धीरे किताबों से दूर होती जा रही है क्योंकि दूरदर्शन, केबल, इंटरनेट आदि ने ऐसा आकर्षक मनोरंजन परोसा है। कि अब कोई पुस्तकों की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखता। पर रंगीन मनोरंजन परोसने वाले ये सभी साधन सोच, सृजन-शक्ति और कल्पनाशीलता पर रोक लगा देते हैं क्योंकि जो आप देख या सुन रहे हैं उसके विषय में अपने तर्क या मत को प्रस्तुत करने का कोई उचित विकल्प आपके पास नहीं होता है। इससे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता। है तथा धन की भी हानि होती है। इसके विपरीत किताबें मनुष्य की सबसे सच्ची मित्र रही हैं। इन्हें आप कभी भी, कहीं भी, किसी भी समय पढ़ सकते हैं तथा स्वयं को ऊर्जावान बना सकते हैं। पुस्तकों को पढ़ने से मस्तिष्क में नए विचारों का उदय होता है तथा मनुष्य की सृजन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। पुस्तकों को पढ़ने से हमारी अपनी सभ्यता, संस्कृति व साहित्य से साक्षात्कार होता है। पुस्तकों को पढ़ने से हमारे ज्ञान में वृधि होती है। मन, मस्तिष्क और आत्मा की भी तृप्ति होती है तथा शांति भी प्राप्त होती है।