Hindi Essay on “Ek School Bag ki Atmakatha”, “एक बस्ते की आत्मकथा”, Hindi Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

एक बस्ते की आत्मकथा

Ek School Bag ki Atmakatha

हरे रंग और दो जिपवाला मैं राहुल का बस्ता हूँ। मुझे अपने सौंदर्य पर बहुत गर्व है। मैं पुराना हूँ पर मेरा नीला शरीर स्वच्छ और चमकदार है। राहुल अपने प्रिय की तरह मेरा बहुत ध्यान रखता है। मेरे ऊपर बना स्पाइडरमैन का चित्र तो वो सदा स्वयं ही साफ़ करता है।

मेरी आगे की छोटी जेब में वह खाना ले जाता है। राहुल ध्यान रखता है कि उसका खाना सदा थैली में हो और तेल से मेरा रूप न बिगड़े। सुबह पुस्तकें जोड़ने से पहले वो कपड़े से मुझे साफ़ कर फिर पुस्तकें जाता है।

मैं और साहिल का बस्ता साथ ही बैठते हैं। साहिल की काली करतूतों से उसका बस्ता भी काला ही हो गया है। तेल की बदबू से वह व्यथित रहता है। कई बार तो जमीन पर गिरे वो मेरी ओर निहारता है और मैं असहाय उसे देखता रहता हूँ।  ज्ञानवर्धक पुस्तकें लिए मैं एक तीव्र बुधि बालक के कंधों पर चढ़ा।

दुनिया की ओर ऊँची नाक किए देखता हूँ। शनिवार शाम को मैं स्नान भी करता हूँ। अब जल्दी ही यह वर्ष समाप्त हो जाएगा और राहुल मुझे छोड़ किसी दूसरे बस्ते की खोज में चला जाएगा। तब मैं कहाँ जाऊँगा, यह सोचकर मैं कुछ घबरा जाता हूँ।

Leave a Reply