Hindi Essay on “Sanch barabar tap nahi”, “साँच बराबर तप नहीं”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

साँच बराबर तप नहीं

Sanch barabar tap nahi 

‘साँच बराबर तप नहीं’ सूक्ति में सत्य के महत्त्व को स्वीकारा गया है। सच के मार्ग पर चलना अपने आप में तप है। तप का अर्थ है ‘तपना’। सच का मार्ग सदैव कंटीला होता है, कठिन होता है। तप करने की ताकत रखने वाला ही इस पर चल सकता है। तप वही कर सकता है जिसका हृदय साफ, निष्पाप हो। ‘सत्य’ मानव हृदय के गौरव का प्रतीक ९। सच बोलने वाले के मख पर एक अलग तरह का तेज रहता है, सोज़ रहता है। ऐसा व्यक्ति निडर होता है व लोगों के पल में जगह बनाता है। अप्रिय सत्य मनुष्य को कभी नहीं बोलना चाहिए। सत्य-असत्य की परिभाषा अपने आप में कुछ हा है। परंतु दूसरों की भलाई व कल्याण के लिए बोला गया बड़े-से-बड़ा झूठ भी सत्य है और वास्तविक सत्य जो दूसरों कठिनाई में डाल दे, बोला जाए तो वह झूठ की परिधि में आता है। तप और सत्य मिलकर मानव जीवन को विकास की राह पर अग्रसर करते हैं। सत्य की प्राप्ति ही कठोरतम् तप है। सत्य अटल है। लाख झूठ भी उसके समक्ष टिक नहीं। सकत। झूठ बुलबुले की भाँति है जिसका अस्तित्व क्षणिक है। सच स्थायी है, चिरंतर है। एक सच को छुपाने के लिए सौ। | झूठ बोलने पड़ते हैं और अंत में सौ झुठों का आवरण भेद कर सत्य बाहर निकल ही आता है। सत्य से व्यक्ति जितना मुँह भाड़ता है वह उतना पल-पल में सामने आता है। कठिन अवश्य है तप का मार्ग, सत्य का मार्ग, परंतु कल्याणकारी है।

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  1. Elena May 4, 2019

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