एक दिन पुस्तक मेले में
Ek Din Pustak Mele Me
पुस्तक प्रेमी इस बात को सदा मानेंगे कि पुस्तक मेले से बढ़कर उनके लिए कहीं रोमांच नहीं है। दिल्ली पुस्तक मेले से अधिक, जिज्ञासा कहीं शांत नहीं हो सकती। मुझे भी बचपन से ही पुस्तकों में बहुत रुचि रही है। अतः मैं हर साल इस मेले में अवश्य जाता हूँ।
शुक्रवार को विद्यालय से छुट्टी के उपरांत मैं और मम्मी इस मेले में गए। प्रगति मैदान के हाल संख्या 8, 9, 10 और 11 में यह मेला लगा था। चारों ओर रंग-बिरंगी पुस्तकें फैली हुई थीं। बच्चे और बड़े सभी पुस्तकों के पन्ने पलटने में मगन थे।
रंग भरने की किताबें ढूंढते हुए हम एक स्टाल पर पहुँचे। वहाँ पक्षियों व अन्य जंगली जीवों की किताबें देख मैं बहुत उत्साहित हुआ। मम्मी ने भी मुझे ये ज्ञानवर्धक पुस्तकें तुरंत ही दिला दीं। इसके बाद उन्होंने नए व्यंजनों की पुस्तकें खरीदीं। हमने अंग्रेजी और विज्ञान की अभ्यास पुस्तिका भी ली।
वहाँ सृजनात्मक खेलों का भी स्टाल था। वहाँ से मैंने शब्द निर्माण और गणित के दो अलग-अलग गेम लिए। वहाँ कहानियों और कविताओं की आकर्षक सी.डी. भी उपलब्ध थीं। हमने जन्मदिन पर भेंट करने के लिए कुछ सी.डी. खरीदीं।
पुस्तक मेले का आनंदमय भ्रमण करके हमने कुछ पेट-पूजा की और फिर घर का रुख किया। मैं अपनी नई पुस्तकें खोलने के लिए बहुत आतुर था।