Parshuram Jayanti “परशुराम जयन्ती” Hindi Essay, Paragraph for Class 9, 10 and 12 Students.

परशुराम जयन्ती (Parshuram Jayanti)

भगवान् परशुराम योग, नीति और वेद के परम ज्ञाता थे। उन्हें विष्णु का अवतार माना जाता है। इनका जन्म यद्यपि भृगुवंशी ब्राह्मण जमदग्नि के घर हुआ था परंतु ये सदा क्षात्र धर्म का ही पालन करते थे। परशुराम ने भगवान् शिव से विशेष शस्त्र प्राप्त किये थे जो काफी शक्तिशाली थे।

परशुराम का कहना था विशेष शक्ति ज्ञानी के पास ही रहनी चाहिए क्योंकि अज्ञानी कभी भी उसका दुरुपयोग कर सकता है। फिर भी उन्होंने द्रोणाचार्य को ज्ञानी समझकर वह विद्या उन्हें दे दी। द्रोणाचार्य ने वह विद्या कौरव-पांडवों को दे दी। इस प्रकार उनके साथ धोखा हुआ। कौरव-पांडवों ने उस विद्या का उपयोग महाभारत में किया।

परशुराम से एक भूल और हुई। वे श्रीराम के स्वरूप को नहीं पहचान पाए। इसी कारण उन्हें लक्ष्मण के हाथों अपमानित होना पड़ा। फिर भी परशुराम के सम्मान में कोई कमी नहीं आई। रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक उन्हें सम्मान मिला।

वेद ज्ञान और शस्त्र-विद्या के अलावा परशुराम के पास अपार गौधन भी था। इस विशाल गौधन को हथियाने का भी प्रयास किया गया। कार्तवीर्य अर्जुन नाम के राजा ने यह प्रयास किया। परशुराम को यहाँ भी संघर्ष करना पड़ा।

क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए उन्हें कई बार हथियार उठाने पड़े। जन-संहार करने के बाद उन्हें पश्चाताप भी होता था। वे इस कृत्य पर प्रायश्चित भी करते थे।

भगवान् शिव की आराधना से उन्होंने ‘परशु’ प्राप्त किया था। वे कुप्रवृत्तियों व अत्याचार का दमन करने के लिए ही हथियार उठाते थे। वे किसी जाति या वर्ग के विरोधी नहीं थे। वे अवगुण विरोधी थे। कई बार उन्होंने ऋषि-मुनियों के सम्मान की रक्षा के लिए शस्त्र उठाए।

कहते हैं त्रेतायुग की अक्षय तृतीया (बैसाख शुक्ला तृतीया) के दिन सरस्वती नदी के तट पर ऋषि जमदग्नि तथा माता रेणुका के घर परशुराम ने जन्म लिया था। कहते हैं जिस कार्तवीर्य अर्जुन ने इनके गौधन को छीनना चाहा था वह हैहय वंश का था। परशुराम ने 21 बार उसकी वंशवेल को नष्ट किया। क्योंकि हैहयों ने गौधन, विशेषकर कामधेनु गाय का हरण करने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया था।

परशुराम को भी हनुमान, अश्वत्थामा और विभीषण की तरह चिरजीवी माना जाता है। श्रीमद् भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख है। इन्हें विष्णु का छठा अवतार माना जाता है।

आज भी इस धरती पर अत्याचारियों व गौधन को नष्ट करने वाले लोगों की कमी नहीं है। परशुराम से प्रेरणा लेकर उनके उद्देश्यों को समझकर धरती पर से अत्याचार और अनाचार मिटाने के प्रयास किये जाने चाहिए।

ऐसे मनाएँ परशुराम जयन्ती (How to celebrate Parshuram Jayanti)

  1. परशुराम का फोटो लगाएँ।
  2. माल्यार्पण कर दीप जलाएँ ।
  3. परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। वे साहसी और पराक्रमी थे। इन्होंने गौवंश की रक्षा को अत्यधिक महत्व दिया था। आज भी गौवंश की रक्षा की जरूरत है। बच्चों को गौपालन और गौरक्षा का महत्व बताया जाए।
  4. परशुराम अत्याचारियों का सदा संहार करते रहे। इनके जीवन की ऐसी घटनाएँ बच्चों को सुनाई जाएँ ताकि बच्चे अत्याचार के खिलाफ खड़े हो सकें।
  5. रामायण में से सीता-स्वयंवर के समय परशुराम व राम के बीच हुई घटना को संवाद-रूप में मंच पर प्रस्तुत किया जा सकता है।

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