Jyoti Rao Phule Jayanti “ज्योतिराव फुले जयन्ती” Hindi Essay, Paragraph for Class 9, 10 and 12 Students.

ज्योतिराव फुले जयन्ती  (Jyoti Rao Phule Jayanti)

ज्योतिराव फुले को महात्मा गांधी ने ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी। “फुले ने निर्दोष लोगों के मस्तिष्क से गलत धारणाएँ हटाने एवं उच्च वर्ग को कर्तव्यबोध का ज्ञान कराने के लिए काम किया। उससे बदलाव का एक दौर आया।” यह कथन डॉ. अम्बेडकर का है। उन्होंने फुलेजी को अपना गुरु बताया था।

19वीं शताब्दी में ज्योतिराव फुले का जन्म महराष्ट्र में हुआ था । इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन दलितों, किसानों और महिलाओं की उन्नति के लिए समर्पित कर दिया था।

ज्योतिराव फुले ने अपनी एक पुस्तक ‘किसान का कोड़ा’ में लिखा है कि ‘विद्या बिना मति गई, मति गई तो नीति गई।’ उन्होंने विद्या को महत्वपूर्ण माना। उनका स्पष्ट कथन था कि शिक्षा के बिना दलित, पिछड़ा वर्ग, किसान, महिलाएँ, मजदूर ये सब शोषित होते रहेंगे। अशिक्षा ही इन सब वर्गों के पिछड़ेपन, गरीबी और शोषण का कारण है।

महात्मा फुले सभी के लिए शिक्षा को आवश्यक मानते थे । सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन, पारिवारिक दुर्दशा आदि का मूल कारण क्ष को मानते थे। इसीलिए उन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए काम किया। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वयं ने विद्यालय खोला। साथ ही छात्रावासों की स्थापना की।

अछूतों और दलितों को शिक्षित करने के लिए स्थापित स्कूलों में सामाजिक चेतना जाग्रत करने का कार्य भी किया। उनकी इस भावना का काफी विरोध हुआ। लोग नहीं चाहते थे कि अछूतों का सामाजिक विकास व बौद्धिक विकास हो। इस विरोध के चलते ही उनके विद्यालय में अध्यापक नहीं आते थे। बिना अध्यापकों के उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

इस समस्या का हल फुलेजी ने निकाला। उन्होंने अपनी पत्नी को शिक्षित किया। फिर उन्हें शिक्षिका नियुक्त किया। स्वयं भी अध्यापन कार्य करते थे। पर फुलेजी की समस्या का यहीं अंत नहीं हुआ। तब देश का सामाजिक ढाँचा ऐसा था कि पिछड़ा वर्ग अपनी इच्छा के अनुसार कुछ नहीं कर पाता था। एक तरह से उन्हें अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा पाने, कोई सम्मानजनक कार्य करने या आजीविका कमाने की छूट नहीं थी। न इस वर्ग में साहस था कि वे अपनी इच्छानुसार कुछ कर पाते।

इस समस्या को दूर करने, अछूतों व पिछड़े वर्ग में जागृति पैदा करने के लिए फुलेजी ने आंदोलन छेड़ा। उनमें आत्मविश्वास पैदा किया। जागृति की नई ज्योति जगाई। अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने की क्षमता पैदा की।

महात्मा फुले के ही प्रयास से अछूत और पिछड़े वर्ग में नई चेतना, नई जागृति आई। कुछ करने और आगे बढ़ने की ललक का बीजांकुर हुआ। आज फुलेजी के प्रयासों से ही यह बीज वृक्ष बन सका ।

आज हर अछूत और पिछड़ा वर्ग शिक्षा प्राप्त करने के प्रति गंभीरता से सोचता है। जैसे-जैसे यह वर्ग शिक्षित होता गया इनमें सामाजिक चेतना बढ़ती गई। आज विकास के दरवाजे इस वर्ग के लिए खुले हैं तो वे महात्मा ज्योतिराव फुले के कारण।

ऐसे व्यक्ति की जयंती मनाकर शिक्षा के प्रसार और महत्व को और दृढ़ किया जाना चाहिए।

कैसे मनाएँ ज्योतिबा फुले जयंती (How to celebrate Jyotiba Phule Jayanti)

  1. ज्योतिबा का फोटो लगाएँ।
  2. माल्यार्पण करें, दीप जलाएँ।
  3. ज्योतिबा ने जीवनभर शिक्षा के विकास का काम किया। विशेषकर पिछड़े वर्ग व अछूतों के लिए। इस काम के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उनकी जीवनी में से ऐसे प्रसंग बच्चों को सुनाएँ जिनसे लगे कि महान बनने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है।
  4. बच्चों को शिक्षा का महत्व भी बताया जाए।
  5. इस आयोजन में किसी पिछड़े वर्ग की बस्ती के लोगों को विशेष रूप से बुलाया जाए। उन्हें ज्योतिबा के विचारों से अवगत कराएँ और शिक्षा का महत्व बताएँ ।
  6. उनकी जीवनी से प्रेरणादायक वाक्य पोस्टर पर लिखकर लगाएँ।

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