History of “Underwear”, “अंडरवियर” from where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

अंडरवियर

Underwear 

History of Underwear in Hindi

History of Underwear in Hindi

( सभ्यता की निशानी)

परातत्ववेताओं द्वारा की गई खुदाई में प्राचीन ममेर सभ्यता की एक पुरानी मूर्ति मिली है, जिसमें युवती ने पैटी (चडी) पहन रखी है। इससे ज्ञात होता है कि विश्व में अधोवस्त्र पहने जाने का रिवाज लगभग साढ़े चार हजार वर्ष पुराना है। पर फिर भी पहले लोग इनके बारे  में चर्चा करने से कतराते थे। इनका स्वरूप भी अलग-अलग होता था। भारत में घुटनों तक लम्बे जांधिए और सूती कपड़े की बंडी, जो बनियान से बड़े आकार की होती थी, पहनने का रिवाज था।

यूरोप में इन वस्त्रों के साथ तरह-तरह के प्रयोग हुए। सन् 1850 में । महिलाएं ऐसी अंडरस्कर्ट पहनती थीं, जो घोड़े के बालों से बनी होती थी और इस प्रकार की होती थी कि उनकी बाहरी स्कर्ट वैल के आकार में दिखाई दे । इस प्रकार की अजीब स्कर्ट से उनका वैठना भी कठिन हो जाता था। वे सार्वजनिक वाहनों में भी प्रवेश नहीं कर पाती थीं।

 उसके बाद अमेलिया जैक्स ब्लूमर ने सन् 1851 पैंट की तरह के  अंडर गारमेंट तैयार किए, ताकि महिलाओं को पुरुषों जैसे काम करने में आसानी हो; पर ये वस्त्र प्रारम्भ में सिर्फ खेलकूद के दौरान ही पहने गए।

सन् 1878 में एक जर्मन डॉक्टर जेगर ने सलाह दी कि अधोवस्त्रों में अगर ऊन का इस्तेमाल हो तो यह त्वचा के लिए लाभदायक होता है। तब लोग ऊनी बनियान, जो गरदन तक होती थी और ऊनी पैंटी, जो टखने तक होती थी, पहनने लगे। बच्चे तथा बड़े, सभी इससे  परेशान रहने लगे और मारे गरमी व पसीने के अपने बदन खुजलाते रहते थे। धीरे-धीरे यह चलन भी समाप्त हो गया।

अंडर गारमेंट्स के क्षेत्र में तब भारी परिवर्तन आया, जब सन् 1820 में थॉमस हैनकॉक नामक अंग्रेज ने एलास्टिक पेटेंट कराया। उसने बड़ी कुशलता से कपड़ों में रबर बैंड को चिपकाकर इस तरह का बना दिया कि कपड़े में नाड़ा डालने का झंझट ही न रहे।

धीरे-धीरे वैज्ञानिक विकास का असर अधोवस्त्रों पर भी हुआ। अब ज्यादा आरामदायक वस्त्र स्त्री-पुरुष और बच्चों के लिए उपलब्ध होने लगे।

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