History of “Thermometer”, “थर्मामीटर” Who & Where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

थर्मामीटर

Thermometer

History of Thermometer in Hindi

History of Thermometer in Hindi

 

(शरीर का तापमान देखने के लिए)

आज शरीर का तापमान नापने के लिए हम जिस थर्मामीटर का प्रयोग करते हैं, इसे क्लीनिकल थर्मामीटर या डॉक्टरी थर्मामीटर कहते हैं। यह फॉरनहाइट पैमाने पर होता है। इसमें नीचे एक घंडी में पारा भरा होता है। घुडी को मनुष्य की जीभ के नीचे रखा जाता है। पारे का  तापमान ज्यों ही बढ़ता है त्यों ही वह ऊपर नली में चढ़ता है और हम पैमाने पर उसको नाप लेते हैं।

मनुष्य गरम खून वाला प्राणी है। इसके शरीर का तापमान सामान्य  तौर पर 98.4 डिग्री फॉरनहाइट होता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह शरीर में विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा जलता है और उस ताप से यह तापमान निरन्तर बना रहता है।

मनुष्य को यह ज्ञान प्राचीनकाल में ही हो गया था कि अगर शरीर  रोगग्रस्त हो जाएगा तो इसका असर इसके तापमान पर पड़ेगा। अतःप्राचीनकाल से ही चिकित्सक ऐसे उपकरण की तलाश में थे जो मनुष् के शरीर के तापमान को ठीक-ठीक बता सके। इस दिशा में पहले-पहल सफलता गैलीलियो नामक इटली के खगोल-विज्ञानी को मिली। उसने पहली बार थर्मामीटर तैयार किया, जिसे ‘थर्मोस्कोप’ नाम दिया गया पर  इसके द्वारा सही तापमान ज्ञात नहीं हो पाता था।

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सन् 1641 में अल्कोहल का प्रयोग करके थर्मामीटर तैयार किया गया। इसके द्वारा मापा गया तापमान काफी हद तक सही होता था। अठारहवीं सदी में पारे के थर्मामीटरों का निर्माण होने लगा।

इसकी नली बीच में एक जगह संकरी होती है। इस कारण तापमान कम हो जाने पर भी पारा वापस नीचे नहीं आता है। उसे नीचे लाने के लिए झटका देना पड़ता है।

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