रेफ्रिजरेटर
Refrigerator
(चीजों को ठण्डा रखने के लिए)
रेफ्रिजरेशन का सिद्धान्त, अर्थात्, चीजों को ठंडा रखने का सिद्धान्त, काफी पुराना है। सदियों पूर्व चीन के निवासी नमकीन पानी में चीजों को सुरक्षित रखा करते थे। लोगों ने देखा कि अगर हथेली पर अल्कोहल की कुछ बूंदे रखकर रगड़ा जाए तो अल्कोहल तो उड़ जाता है, पर हथेली ठंडी हो जाती है। नेल पॉलिश लगाने के बाद भी ऐसा ही अनुभव होता है। जो तरल पदार्थ बहुत जल्दी उड़ जाते हैं, वे ऐसा ही असर छोड़ जाते हैं।
जैकब परकिस नामक एक अमेरिकी सन् 1834 में ब्रिटेन में रह रहा था। उसने इस प्रकार के ठंडे करने वाले तरल पदार्थों का अध्ययन किया। उसने सोचा कि यदि इस प्रकार के तरल पदार्थों को धातु के ट्यूबों में बंद कर दिया जाए तो ये ट्यूब्स ठंडी हो जाएगी और साथ ही उसके पास-पास की हवा भी ठंडी हो जाएगी।
परकिंस और उसे साथियों ने अब एक बक्सा बनाया। इसके बीच में धातु के ट्यूब डाले, जिनमें उड़ने वाले तरल पदार्थ काफी दबाव पर भरे गए थे। यह उपकरण काम करने लगा। जब इसके अन्दर पानी की ट्रे रखी गई तो वह ठंडी हो गई और पानी बर्फ में बदल गया। परकिंस और उसके साथी यह देखकर बड़ी ही प्रसन्न हुए और बर्फ को कम्बल में लपेटकर घर ले गए, जहां उन्होंने खूब जश्न मनाया।
लेकिन परकिंस ने अपने उपकरण में आगे सुधार नहीं किया। 1855 ईसी में जेम्स हैरीसन नामक आविष्कारक ने पहला औद्योगिक रेफ्रिजरेटर तैयार किया और उसे बिक्री के लिए रखा। यह सफल भी रहा
इसके बाद दूसरे आविष्कारक भी जुट गए। उन्होंने घरेलू उपयोग के लिए रेफ्रिजरेटर तैयार किया, जो दुकानों में खूब बिकने लगा।