रबर बैंड
Rubber Band
(दैनिक दिनचर्या में प्रयोग)
आज रबर बैंड का उपयोग लगभग हर काम में होने लगा है। सवेरे अखबारवाला अखबार को रबर बैंड में लपेटकर ऊपर की मंजिल में फेंकता है। महिलाएं बाल बांधने के लिए रबर बैंड का प्रयोग करती हैं। थैले से सामान बाहर न निकल जाए, इसलिए थैले का मुंह रबर बैंड से बांध दिया जाता है।
रबर का प्रयोग मध्य और दक्षिण अमेरिका के मूल निवासी सदियों से करते रहे हैं। वे वहां उपलब्ध रबर के पेड़ों से निकलनेवाले तरल रबर को सुखाकर रबर बना लेते थे और तरह-तरह से उसका उपयोग करते थे। वहां पर रबर के वस्त्र, कोट, हैट, खिलौने, स्कर्ट आदि तो बनते ही थे, रबर की बोतलें भी बनती थीं, जिनमें तेल आदि रखा जाता था।
सन् 1820 में एक बार थॉमस हैनकॉक नामक अंग्रेज को वहां के एक आदिवासी ने रबर की बोतल दी। हैनकॉक ने उस बोतल को ध्यान से देखा और फिर चाकू लेकर उसके स्लाइस काटे। इस प्रकार विश्व का पहला रबर बैंड तैयार हुआ।
हैनकॉक ने रबर बैंड का प्रयोग तरह-तरह से करना प्रांरभ किया। उसने मोजों में इनका प्रयोग किया, ताकि वे नीचे न लटकें। उसने कपड़ों में प्रयोग करना प्रांरभ किया भी, ताकि वे खिसकें नहीं; पर हैनकॉक के ‘दिमाग में अपने आविष्कार को पेटेंट कराने का विचार नहीं आया।