History of “Kitchen Fuel”, “रसोई ईंधन” Who & Where invented, Paragraph in Hindi for Class 9, Class 10 and Class 12.

रसोई ईंधन

Kitchen Fuel

History of Kichen Fuel in Hindi

History of Kichen Fuel in Hindi

(अधिक ऊर्जा के स्त्रोत)

खाना बनाने के लिए भारत में पहले प्रायः लकड़ी, गोबर के उपले, कोयले आदि का उपयोग होता था, जो ज्यादा धुआं देते थे और कम ऊर्जा प्रदान कर पाते थे। किरासन तेल का  स्टोव अपेक्षाकृत आसान और उपयोगी था। किसान किरासन तेल का उपयोग  अपने ट्रैक्टर व अन्य उपकरणों में भी  करते थे।

हजारों साल पहले ही मनुष्य ने खनिज तेल का पता लगा था। लोग गड्ड़ा खोदकर चट्टानों के नीचे से पेट्रोलियम निकाल लेते थे। प्राचीनकाल में पेट्रोलियम न सिर्फ इस्तेमाल होता था, बल्कि इससे बने अन्य पदार्थ, जैसे ग्रीज आदि का भी इस्तेमाल होता था। रथों की धुरियों से लेकर अनेक प्रकार के जोड़ों में ग्रीज का इस्तेमाल होता था।  

चीन के निवासी दो हजार वर्ष पूर्व ही जमीन खोदकर तेल निकालने  लगे थे। सन् 1850 में खनिज तेल से किरासन तेल बनाने की कला  विकसित हो गई थी। इस किरासन तेल का इस्तेमाल लैंपों, स्टोवों आद में होता था।

सन् 1859 में अमेरिका के एडविन ड्रेक ने व्यावसायिक रूप से तेल का पहला कुआं खोदा। तेल की पहली पाइप लाइन मात्र 8 किलोमीटर लम्बी थी। आज तो तेल की हजारों किलोमीटर लम्बी पाइप लाइनें उपलब्ध हैं।

सन् 1913 में बर्टन क्रेकिंग प्रक्रिया तैयार कर ली गई, जिसे खनिज तेल से गैसोलीन तैयार किया जाने लगा।

खनिज तेल के साथ कुओं से प्राकृतिक गैस भी निकलती है। इसके अलावा कोयले से भी कोल गैस बनती है। 1700 ईसवी तक लोग घरों में लैंप व मोमबत्ती जलाकर रोशनी कर पाते थे। सन् 1972 में विलियम मर्डोक ने कोल गैस जलाकर उजाला करने का उपाय किया और  1803 में इसकी फैक्टरी भी लगा दी। सन् 1807 में लन्दन की कुछ सड़कों पर गैस से प्रकाश की व्यवस्था की गई।

दूसरी ओर लैवोजियर ने प्राकृतिक गैस से सड़कों पर रोशनी का इंतजाम प्रारम्भ कर दिया। सन् 1780 में उसने इस गैस को स्टोर करने के लिए एक टैंक  भी बना डाला। रॉबर्ट बुन्सेन नामक वैज्ञानिक ने उन्नीसवीं सदी में गैस को हवा के साथ जलाने वाले बुन्सेन बर्नर बनाए। इनमें लौ एक जैसी रहती थी।

सन् 1832 में जेम्स शार्प ने खाना पकाने के लिए गैस का स्टोव तैयार किया। सन् 1840 के दशक में अमेरिका में गैस रेंज तैयार कर लिया गया। इसके बाद गैस पर खाना पकाना आसान होता चला गया।  

प्रारम्भ में हमारे देश में प्राकृतिक गैस की भारी कमी थी और गैस  कनेक्शन बड़ी कठिनाई से मिलता था। आज गांव हो या शहर, बड़ी संख्या में लोग गैस पर ही खाना बनाते हैं। इससे जंगलों को नुकसान नहीं होता है और वायु-प्रदूषण से भी खासा बचाव होता है।

Leave a Reply