हिन्दू धर्म में घर के आँगन में तुलसी का पौधा क्यों?

हिन्दू धर्म में घर के आँगन में तुलसी का पौधा क्यों?

Hindu Dharam mein ghar ke aangan mein Tulsi ka paudha kyo lagaya jata hai.

प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर के आँगन में प्रायः तुलसी का पौधा लगा होता है। यह हिन्दू परिवार की एक विशेष पहचान है। स्त्रियाँ इसके पूजन के द्वारा अपने सौभाग्य एवं वंश के समृद्धि की कामना करती हैं।

अति प्राचीन परम्परा से तुलसी का पूजन सद्गृहस्थ परिवार में होता आया है। जिसके सन्तान नहीं होती, वे तुलसी-विवाह भी कराते हैं। तुलसी-पत्र चढ़ाये बिना शालिग्राम का पूजन नहीं होता। विष्णु भगवान् को चढ़ाये गये श्राद्ध-भोजन में, देवप्रसाद, पंचामृत में तुलसीपत्र होना आवश्यक है अन्यथा वह प्रसाद-भोग देवताओं को नहीं चढता। मरते हुए प्राणी के अन्तिम समय में गंगाजल व तुलसी-पत्र दिया जाता है। तुलसी जितनी धार्मिक मान्यता किसी भी वक्ष को नहीं है।

इन सभी धार्मिक मान्यताओं के पीछे एक वैज्ञानिक रहस्य छिपा हुआ है। तुलसी का पौधा एक दिव्य औषधि पौधा है तथा कस्तूरी की तरह एक बार मृत प्राणी को जीवित करने की क्षमता रखता है। तुलसी के माध्यम से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी भी ठीक हो जाती है। आयुर्वेद के ग्रन्थों में तुलसी की बड़ी महिमा वर्णित है। इसके पत्ते उबाल कर पीने से सामान्य ज्वर, जुकाम, खाँसी एवं मलेरिया में तत्काल राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों में संक्रामक रोगों से रोकने की अद्भुत शक्ति है। प्रसाद पर इसको रखने से प्रसाद विकृत नहीं होता। पंचामृत व चरणामृत में इसको डालने से बहुत देर तक रखा गया जल व पंचामृत खराब नहीं होते, उसमें कीड़े नहीं पड़ते।

तुलसी की मंजरियों में एक विशेष खशबू होती है, जिससे विषधर साँप उसके निकट नहीं आते। यदि रजस्वला स्त्री इस पौधे के पास से गुजर जाये, तो तुलसी का पौधा फौरन म्लान हो जाता है। इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण ही, इसकी पूजा की जाती है।

‘क्रियायोगसार नामक एक अन्य ग्रंथ के अनुसार-तुलसी के स्पर्श मात्र से मलेरिया इत्यादि रोगों के कीटाणु एवं विविध व्याधियाँ तुरन्त नष्ट हो जाती हैं।

स्त्रियों के लिए शास्त्रकारों ने तुलसी-पूजन का विशेष महत्त्व माना है। यह बतलाने की आवश्यकता नहीं है कि प्राचीनकाल में अपने अनुपम गुणों के कारण यह पौधा प्रत्येक हिन्दू घर का एक आवश्यक अंग रहा है। हिन्दू घर की अनेक विशेषताओं (Speciality) में तुलसी का पौधा भी एक है।

शास्त्रीय विधान है स्त्रियाँ इसके पूजन के द्वारा अपने सौभाग्य और वंश की समृद्धि की रक्षा करती रही हैं। इसलिए प्रत्येक भारतीय नारी को प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर शुभ्र-वस्त्र तथा मस्तक पर सिन्दूर आदि धारण कर भगवत्-स्मरणानन्तर तुलसी-पूजन अवश्य करना चाहिए। पूजन की पूर्णविधि से यदि परिचय न हो, तो तुलसी पौधे का जल से सिंचन और अक्षतों से अर्चन कर दीप जला कर नीचे लिखे मंत्र से सौभाग्य प्रार्थना करनी चाहिए-

सौभाग्यं सन्ततिं देवि, धनं धान्यं च मे सदा।

आरोग्यं शोकशमनं, कुरु मे माधवप्रिये॥

Leave a Reply