Hindi Story, Essay on “Ghar ka Bhedi Lanka Dhaye”, “घर का भेदी लंका ढाए” Hindi Moral Story, Nibandh for Class 7, 8, 9, 10 and 12 students

घर का भेदी लंका ढाए

Ghar ka Bhedi Lanka Dhaye

 

पंद्रह अगस्त का दिन था। भारत का स्वाधीनता दिवस! दादाजी अमर और लता को बता रहे थे कि भारतवर्ष को अंग्रेजों ने किस प्रकार चालाकी से अपना गुलाम बनाया और भारत के वीर अमर शहीदों ने देश को कैसे आजाद कराया?

“भारत के कुछ डरपोक और गद्दार लोग अंग्रेजों के साथ मिल गए थे। अंग्रेजों ने इसका पूरा फायदा उठाया। भारत के अनेक राजाओं के बीच फूट डालने का काम किया और देश को अपना गुलाम बना लिया। ये कहते हैं-घर का भेदी लंका ढाए। बेटे, कभी-कभी आपस की फट और दुश्मनी से घर बरबाद हो जाता है।” दादाजी ने समझाया। | “दादाजी, हमें लंका की कहानी सुनाइए।” लता ने आग्रह किया। अमर ने भी जिद की-“हाँ, दादाजी!” ।

“बेटा, यह रामायण की कहानी है।” दादाजी ने कहना शुरू किया” यह तो तुम जानते ही हो कि लंका का राजा रावण नामक राक्षस था। उसने साधु वेश धारण करके छल-कपट से सीता का अपहरण कर लिया और अपने विमान में बिठाकर आकाश-मार्ग से लंका की तरफ चल दिया। रास्ते में जटायु नामक पक्षी ने सीता के रोने-चिल्लाने की आवाज सुनी।

वह राम का परम भक्त था। वह पहचान गया कि दुष्ट रावण छल से सीता को ले जा रहा था। वह रावण के ऊपर झपट पड़ा। सीता को छुड़ाने के लिए वह अपनी तीखी चोंच और पंजों से रावण पर वार करने लगा। रावण को गुस्सा आ गया। उसने अपनी तलवार से जटायु के पंख काट दिए और वहे छटपटाता हुआ जमीन पर जा गिरा। वह खून से लथपथ छटपटाने लगा।

“जब राम और लक्ष्मण सीता को खोजते हुए वहाँ पहुँचे तो जटायु ने उन्हें सारा हाल सुना दिया और उन्हें यह भी बता दिया कि रावण सीता को लंका की तरफ लेकर गया है। इतना कहकर जटायु ने राम की शरण में अपने प्राण त्याग दिए।” कहते-कहते दादाजी कुछ देर के लिए रुक गए।

“दादाजी, फिर क्या हुआ? वह भेदिया कौन था जिसकी वजह से लंका ढह गई?” अमर ने पूछा। “हाँ, दादाजी! और फिर लंका ढहाने वाला कौन था?” लता ने भी पूछा। दादाजी बोले रावण सीता को लंका ले गया और अशोक वाटिका में छिपाकर रख दिया। सीता की पहरेदारी के लिए उसने राक्षसियों को तैनात कर दिया। वह जबरन सीता के साथ विवाह करना चाहता था। रावण की पत्नी मंदोदरी ने रावण को बहुत समझाया। रावण क रिश्तेदारों ने भी उसे बहुत समझाया-बुझाया। उसका राम का भक्त था। राक्षस होते हुए भी वह सदाचारी और धार्मिक स्वभाव का था। उसने रावण से कहा कि श्रीराम भगवान् हैं और उनसे दुश्मनी मोल लेकर सर्वनाश हो जाएगा। रावण को उसकी बातें सुनकर बहुत गुस्सा आया। उसने विभीषण को अपमानित करके लंका से बाहर निकाल दिया। बेचारा विभीषण श्रीराम की शरण में चला

गया। विभीषण ने लंका और रावण के बारे में अनेक गुप्त बातें रामजी को बता दीं। “ बस, फिर क्या था! जब सीता को खोजते हुए हनुमान लंका पहुँचे तो अशोक वाटिका में रावण के सैनिकों ने उन्हें बंदी बना लिया। रावण के दरबार में हनुमान की पूँछ में आग लगा दी गई। उसी आग से हनुमान ने सारी लंका जला डाली। फिर राम के साथ युद्ध में रावण के सभी बेटे और भाई मारे गए। अंत में, विभीषण के बताए अनुसार राम ने रावण की नाभि में तीर मारा और वह मर गया। इस प्रकार, घर के भेदी विभीषण के कारण लंका ढह गई। लंकावासी जोर-जोर से चिल्लाने लगे-घर का भेदी लंका ढाए, घर का भेदी लंका, ढाए।” कहानी सुनकर लता बोली-“दादाजी, हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी को अपने घर की गुप्त बातें नहीं बतानी चाहिए। हो सकता है, मौका पाकर कोई हमें नुकसान पहुँचाने की कोशिश करे।”

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