Hindi Patra Lekhan “Apne Mitra ko Haal hi me padhi pustak ki charcha par patra likhiye” “पत्र लिखिए जिसमें हाल ही में पढ़ी किसी पुस्तक की चर्चा” Class 10 and 12.

अपने मित्र के नाम एक पत्र लिखिए जिसमें हाल ही में पढ़ी किसी पुस्तक की चर्चा कीजिए।

परीक्षा भवन,

18 जून, 2…….

 

प्रिय सतीश,

तुम्हारे पत्र के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह मुझे कल ही प्राप्त हुआ । मुझे तुम्हारे कस्बे की पुस्तक प्रदर्शनी का वर्णन पढ़कर बहुत खुशी हुई। मैं इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू की प्रसिद्ध ‘आत्मकथा’ जिसे मैंने अभी समाप्त किया है, का उल्लेख कर रहा हूँ।

‘आत्मकथा’ अत्यन्त रुचिकर है। इसका प्रवाह उपन्यास के समान है। प्रत्येक पंक्ति गहरी संवेदना से भरपूर है। यह पुस्तक दो तत्त्वों का सच्चा दस्तावेज है- लेखक का व्यक्तित्व और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की कथा। यह आत्मकथा भी है और इतिहास भी। मेरे विचार में इसका आत्मकथात्मक भाग, ऐतिहासिक भाग से अधिक सशक्त है। शायद मेरा मस्तिष्क अभी तक इतना परिपक्व नहीं हुआ है कि पंडित जी के द्वारा वर्णित भारत की आजादी के संघर्ष को समझ सकूँ। मैं आशा करता हूँ कि आने वाले वर्षों में मैं पुस्तक के इस भाग की अब से अधिक प्रशंसा कर सकूँगा।

पंडितजी की जीवनगाथा ने मुझ पर गहरा प्रभाव डाला। मुझे प्रत्येक वृत्तांत स्मरण हैं। मेरी हँसी रुक नहीं पाई जब मैंने यह पढ़ा कि पंडित जी को कैसे उनके बाल्यकाल में एक कलम चुराने पर अपने पिता से कठोर दण्ड मिला। आत्मकथा के कुछ भाग अन्तर्मन को स्पर्श करने वाले हैं। पंडित जी का जेल जीवन, पिता पंडित मोतीलाल नेहरू की मृत्यु और कमला नेहरू का रोगग्रस्त होना आदि घटनाओं को पढ़कर मेरी आँखें आँसुओं से भर गई।

पंडित जी की चारित्रिक शक्ति सम्पूर्ण पुस्तक में दृष्टिगत होती है। इन पृष्ठों में वे एक विवेकशील विचारक, दृढ़ निश्चयी व्यक्ति और साहसी व्यक्ति के रूप में उभरे हैं। भावना और मानसिक दुर्बलता उन्हें स्पर्श नहीं करती यद्यपि वह भावुक थे तथा रुचियों और अरुचियों के प्रतीक थे। यही कारण है कि उनकी ‘आत्मकथा’ ने संसार भर में प्रसिद्धि प्राप्त की। यह सर्वाधिक बिकने वाली और अत्यधिक प्रचलित पुस्तकों में से एक सिद्ध हो चुकी है। इस पुस्तक के कारण पंडित जी का नाम वर्तमान सदी के महानतम लेखकों में गिना जाता है।

यह एक मोटी पुस्तक है, परन्तु इसका विस्तार नीरस नहीं है। जैसे-जैसे हम पढ़ते जाते हैं, पृष्ठ हमारे सामने उड़ते प्रतीत होते हैं। मैं तुम्हें भी इस पुस्तक को पढ़ने की सलाह दूंगा। इसका अध्ययन करके तुम्हें एक दुर्लभ अनुभव की प्राप्ति होगी।

तुम्हारा सच्चा मित्र,

Leave a Reply