Hindi Letter Writing “Chatravas me rahne ke bare me Mitra ko patra”, “छात्रावास में रहने का आनन्द विषय पर अपने मित्र को पत्र ”   Hindi letter for Class 5,6,7,8,9 and 10

छात्रावास में रहने का आनन्द विषय पर अपने मित्र को पत्र लिखिए।

अथवा

अपने मित्र को अपनी पढ़ाई तथा छात्रावास के जीवन के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।

 

 

परीक्षा भवन,

प्रिय सखी हर्षा,

स्नेह नमस्ते ।

 

मैंने आज ही तुम्हारा प्रिय पत्र प्राप्त किया। दिल फूल की भाँति खिल उठा। छात्रावास में रहकर पत्रों द्वारा ही मिला जा सकता है। सबके पत्र समय-समय पर मिलते रहते हैं। तुमने छात्रावास में रहने के आनन्द के विषय में पूछा है। मैं स्वयं ही तुम्हें यह सब लिखने वाली थी। जब मैं दिल्ली से चली थी, तो मन में एक अजीब-सा भय लग रहा था, क्योंकि छात्रावास में रहने का मेरा यह पहला अवसर था। यह छात्रावास महिलाओं के लिए हो। बनाया गया है। मैं यहाँ आने से पहले घबरा रही थी, लेकिन यहाँ ऐसा कुछ नहीं था। सब लोग बहुत ही अच्छे हैं। यहाँ एक विशाल क्षेत्र में विद्यापीठ स्थित है। प्रवेश द्वार के अन्दर जाने पर सड़क के एक ओर छात्रावास है, तो दूसरी ओर कालिज, संगीत विद्यालय, हाई स्कूल, पुस्तकालय, शिक्षण-प्रशिक्षण कालिज आदि हैं। यहाँ के भव्य भवन दूर-दूर तक फैली हरियाली, छायादार वृक्षों की पंक्तियाँ बड़ी ही मनमोहक लगती हैं। कई प्रकार के फूल सहसा सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता हैं। यहाँ की अध्यापिकाएँ अनुभवी व परिश्रमी हैं। अनुशासन यहाँ का पहला नियम है। प्रत्येक छात्रा को खेल-कूद, संगीत व एन.सी.सी. में भाग लेना पड़ता है। प्रातः पाँच बजे से यहाँ की दिनचर्या आरम्भ हो जाती है। वेद मन्त्रों की ध्वनि कानों में सुनाई देती हैं। जलपान करने के बाद छात्राएँ स्कूल व कालेजों में जाती हैं। शाम को छात्राएँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अभ्यास करती हैं। हमारा प्रत्येक काम समय पर होता है। छात्रावास हमें हर प्रकार से स्वावलम्बी जीवन बिताने की शिक्षा देता है। आलस्य कोसों दूर रहता है। हमें अपनी पढ़ाई व काम की चिन्ता स्वयं रहती है। मुझे छात्रावास में रहकर बड़ा ही आनन्द आ रहा है। इसका वर्णन नहीं कर सकती।

तुम्हारी स्नेही

क,ख,ग,

 

दिनांक : 15 सितम्बर, 1999

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