मेरा विद्यालय
(My School)
भूमिका-विद्यालय एक ऐसी संस्था है, जो देश के लिए भावी नागरिक तैयार करती है। प्रजातांत्रिक देश में नागरिकों का शिक्षित होना आवश्यक है। जिस देश में उच्चकोटि के विद्यालय होते हैं, विदयार्थी भी उच्च स्तर के होते हैं। अतः विद्यालय एक ऐसी कार्यशाला है जिस पर देश का भविष्य निर्भर करता है।
मेरा विद्यालय-हमारे नगर में अनेक विद्यालय हैं। परंतु मैं जिस विद्यालय में पढ़ता हूँ, वह देश भर में प्रसिद्ध है। देश के कोने-कोने से विद्यार्थी यहाँ अध्ययन करने आते हैं। इसका कारण है यहाँ का परीक्षा परिणाम। मेरे विद्यालय का परिणाम सदा शत-प्रतिशत आता है, तथा प्रांत भर में प्रथम आने वाला विद्यार्थी भी हमारे विद्यालय का ही होता है। इस विद्यालय का नाम है ‘क’ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय।
आकार-प्रकार-हरे भरे वृक्षों से ढके इस विद्यालय की इमारत अभी नई ही है। आधुनिक सांधनों से युक्त इस इमारत में कक्षा के लगभग 65 कमरे हैं, प्रधानाध्यापक कक्ष, अध्यापक कक्ष, लिपिक कक्ष, वाचनालय, पुस्तकालय, कला कक्ष, विज्ञान कक्ष, प्रयोगशालाएँ, संगीत तथा नृत्य कक्ष, पूर्णतया सुसज्जित हैं। प्रत्येक कमरे में बिजली एवं पंखे लगे हुए हैं। एक विशाल हाल भी बना हुआ है। जहाँ विद्यार्थी उत्सव के लिए अथवा साप्ताहिक फिल्म देखने के लिए एकत्र होते हैं। दूरदर्शन पर आने वाले स्कूली कार्यक्रम देखने के लिये भी बच्चे वहाँ एकत्र होते हैं। भवन के सामने ही घास के हरे-भरे मैदान हैं। इनके चारों ओर छायादार वृक्ष लगे हुए हैं। रंग-बिरंगे फूल सचमुच अध्ययन का वातावरण बना देते हैं।
अध्यापक गण-1400 विद्यार्थियों के देश के भावी कर्णधार बनाने के लिए लगभग 80 अध्यापक कार्यरत हैं। अध्यापक अपने-अपने विषय के ज्ञाता हैं लगन और परिश्रम से पढ़ाना वे अपना कर्तव्य ही नहीं धर्म समझते हैं। यही कारण है कि मेरे विद्यालय का परीक्षा परिणाम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम-केवल पुस्तकीय ज्ञान से बालक का विकास नहीं हो सकता, ऐसा मेरे ‘ विद्यालय के अधिकारियों का मत है। अतः वसंत पंचमी, 26 जनवरी, 15 अगस्त, गुरुगोविंद सिंह के जन्म-दिवस, गांधी जन्म-दिवस तथा बाल-दिवस आदि को विद्यालय प्रांगण में धूम-धाम से मनाया जाता है। गणमान्य व्यक्ति इन उत्सवों की शोभा होते हैं। अनेक विद्यार्थी प्रतियोगिता में जाते हैं और पुरस्कार प्राप्त कर अपने तथा विद्यालय के नाम को चार चाँद लगाते हैं। क्रीड़ा के क्षेत्र में विद्यार्थियों की रुचि के अनुकूल यहाँ पर सभी प्रकार के खेल खेलने की सुविधाएँ हैं। खेल नियमित रूप से खेले जाते हैं। ये शिक्षा का ही अंग समुझे जाते हैं। अनेक खेलों में योग्य खिलाड़ी पुरस्कार भी प्राप्त करते हैं।
उपसंहार-आज देश में ऐसे विद्यालयों की आवश्यकता है जो विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकें। उत्तम विद्यालयों से निकले योग्य विद्यार्थी देश का भार उठा सकने में सक्षम होंगे।