Hindi Essay on “Yudh ka hal Yudh Nahi”, “युद्ध का हल युद्ध नहीं”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

युद्ध का हल युद्ध नहीं

Yudh ka hal Yudh Nahi

आदिकाल से युद्ध की समस्या रही है और इसे हल करने का हर युग में मनीषियों ने प्रयत्न किया है। युधिष्ठिर ने तथा श्री राम ने क्रमशः महाभारत तथा रामायण के युद्धों से बचने की कोशिश की पर दुर्योधन तथा रावण ने संधि तथा समझौतों के प्रस्ताव अस्वीकार कर दिए। परिणामस्वरूप युद्ध हुआ और जान-माल की हानि हुई। यदि ये युद्ध न होते तो आज भारत का मानचित्र कुछ और होता। भारत को कभी भी दुर्दिन न देखने पड़ते। युद्ध को समाप्त करने के लिए किया गया युद्ध युद्ध का हल नहीं बल्कि यह भावी युद्धी की नींव रखता है। पराजित योद्धा अथवा जाति के हृदय में बदले की आग जल उठता है। अतः वह पुनः युद्ध करके अपने खोये हुए सम्मान को प्राप्त करना चाहता है। इससे युद्ध की समस्या जटिल बनती है। दो विश्व युद्ध इस बात का प्रमाण है कि प्रथम युद्ध ने ही द्वितीय युद्ध की नींव रखी दी थी। युद्ध का आधारभूत कारण साम्राज्यवादी भावना है। जब तक यह भावना समाप्त नहीं होती तब तक बडे तथा शक्तिशाली राष्ट्र निर्बल राष्ट्रों का शोषण करते रहेंगे। शोषित अपने अधिकारों की मांग करते हैं तो उन्हें कुचला दिया जाता है। अतः उनके सामने युद्ध के सिवा कोई चारा नहीं रहता। यदि युद्ध का रोकना है तो अत्याचार और अन्याय को रोकना होगा। जब तक शोषण और साम्राज्यवा भावना है तब तक युद्ध को रोकना संभव नहीं। अत: ठीक ही कहा गया है कि युद्ध का हल युद्ध नहीं।

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