Hindi Essay on “Vidiyarthi aur Fashion”, “विद्याथी और फैशन”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

विद्याथी और फैशन

Vidiyarthi aur Fashion

फैशन कोई नयी वस्तु नहीं है। हर युग में हर समय में अपने अपने ढंग से का किये जाते रहे हैं। मनुष्य स्वभावत: सुन्दर दिखने सुन्दर लगने और सुन्दर कहे जा लालसा मन में रखता आया है। कुछ लोग कहते हैं कि फैशन केवल स्त्रियों के लिए ही बने थे। पहले वे घर के अन्दर रहकर अपने पति या परिवार वालों को प्रसन्न करने के लिए फैशन करती थीं। आज बाहर निकलते समय दूसरों को दिखाने के लिए फैशन करती हैं। पंजाबी में एक कहावत है कि खाओ मन भाता और पहनो जग भाता किन्तु आज उसका बिलकुल उलट हो गया है हम खाते हैं जग भाता और पहनते हैं मन भाता। लड़कों ने कहीं पढ़ा कि फैशन करना लड़कियों का या स्त्री का जन्म सिद्ध अधिकार हैं। बस वे चिढ़ गए। हम किसी से क्या कम हैं सोचते हुए उन्होंने भी लड़कियों की नकल शुरू कर दी। नाखून बढ़ाना, नेल पालिश लगाना, सलवार कमीज़ पहनना, लम्बे-लम्बे बाल रखना, मुँह को पाउडर और गालों को सुर्ख लगाना शुरू कर दिया। यहीं बस नहीं उन्होंने कानों में बालियाँ भी पहननी शुरू कर दी। उनकी इसी अदा का देखकर किसी कवि ने कहा-“ढालकटारि, छोड़कर कंघी शीशा रह गयी, वीर लेडी बन गए यह उल्टी गंगा वह गई।’ लड़के-लड़कियाँ बन गए तो लडकियाँ क्यों पीछे रहें। आखिर यह लड़कियों का। जमाना है। पढ़ने में पहले नम्बर पर लड़कियाँ, खेल कूद में लड़कियाँ नम्बर वन पर, आई ए एस, पी सी एस की परीक्षा हो लड़कियाँ नम्बर वन पर, फिर लड़कियां फैशन में पीछे क्यों रहें। उन्होंने लड़कों के पहरावे पैंट-शर्ट, जीन-टी शर्ट को ही नहीं अपनाया बल्कि बाल भी लड़कों की तरह कटवा लिए जिसे आजकल वे बॉयकाट कहती हैं। लगता है लड़कियों ने यह तय कर लिया है कि अब घोड़े पर सवार होकर लड़कों को व्याह कर लाएँगी भले ही लड़का चीखता चिल्लाता कहे कि मैंनू रखलै अमड़िये अज दी घड़ी और बुल्हेशाह को लिखना पड़े डोली चढ़दियाँ मारियाँ राँझे चीखा, मैंनू लै चली वे बाबला लै चली। फैशन ने लड़कों को इतना जनाना बना दिया है कि उपर्युक्त बातें भविष्य में घटने की पूरी सम्भावना है। परन्तु लड़कियाँ अपने उद्देश्य में तभी सफल होंगी जब वे हाय कहना छोड़ नमस्ते कहना सीखेंगी। फैशन चक्कर में पड़ कर कहीं लडकियाँ अपने नारीत्व को ही न खो बैठे। फैशन के विरुद्ध हम कभी थे और न ही आज है परन्तु जब इसे रोग बना लिया जाए तो वह जचता नहीं। लड़कियाँ जितनी सुन्दर सलवार कमीज या साडी ब्लाऊज में जंचती हैं पैंट शर्ट में नहीं। बुरा न मनाएँ। विद्यार्थी जीवन में आप फैशन नहीं करेंगे तो कब करेंगे आगे तो फिर वही नून तेल लड़कियों ने चक्कर में पडना है। इसलिए फैशन जरूर करो लेकिन ऐसा जिस से तुम भारतीय लगो।

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