Hindi Essay on “Swapan main Gandhi ji se Bhent”, “स्वप्न में गाँधी जी से भेंट”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

स्वप्न में गाँधी जी से भेंट

Swapan main Gandhi ji se Bhent

 

एक रात मैं हिंदी के प्रसिद्ध कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता पढ़ रहा था जिस में उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के नामलेवाओं पर व्यंग्य किया था। संयोग से उसी रात स्वप्न में मेरी गाँधी जी से भेंट हो गई। वे मुझे कुछ चिन्तित से लगे। मैंने उन्हें प्रणाम किया और उनकी चिन्ता का कारण पूछा। गाँधी जी ने कहा, बालक तुम तो बीसवीं सदी के अंतिम चरण में पैदा हुए हो, तुम्हें यह बात समझ में नहीं आएगी कि मैंने विदेशी माल का बहिष्कार करके स्वदेशी को अपनाने के लिए प्रचार किया था आज मेरे ही अनुयायी उस का मजाक उड़ा रहे हैं। आज के युग का कोई भी कांग्रेसी न तो गाँधी टोपी पहनता है और न ही खद्दर। मैंने सूत कातने में और खद्दर पहनने का प्रचार इस उद्देश्य से किया था कि हमारे देश के लघु एवं कुटीर उद्योग जीवित रह सकें। माना कि भारत ने पिछले पचास वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र में प्रशंसनीय प्रगति की है किन्तु यह प्रगति भारत ने अपने कुटीर एवं लघु उद्योगों को बलि चढ़ा कर प्राप्त की है। जापान जैसा देश जो सन् 1945 में एटम बम गिराये जाने पर पूरी तरह तहस-नहस हो गया था, अपने लघु एवं कुटीर उद्योग के बलबूते पर ही आज अमेरिका और इंग्लैण्ड जैसे देशों को चुनौती दे रहा है। इस बात से तो तुम्हारी पीढ़ी भी अवगत है। मेरे प्रिय जवाहर लाल मुझे यहां स्वर्ग में मिले हैं उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने भारी उद्योगों की स्थापना का जो कार्यक्रम बनाया था उसमें लघु एवं कुटीर उद्योगों को क्षति पहुँचाने की ओर उन का ध्यान नहीं गया था। उस तरह के उद्योग धन्धे स्थापित करके जवाहर ने भारत को। प्रगतिशील देशों का मुखिया बनाने की बात सोची थी। साथ ही उसका विचार था कि इस तरह देश से बेरोजगारी और गरीबी दूर हो जाएगी। परन्तु उसका अनुमान सही नहीं। निकला। आजादी के 60 वर्ष बाद भी देश में अनपढ़ता, बेरोज़गारी और गरीबी समाप्त नहीं की जा सकी। ऐसा कुछ जवाहर के बाद आने वाले राजनीतिज्ञों विशेषकर मेरे अनुयायी कांग्रेसी लोगों के गले-गले तक भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाने का कारण हुआ है। उन लोगों ने गद्दी की खातिर देश को दृष्टि से ओझल कर दिया है। मुझे हैरानी होती है कि आज सभी राजनीतिक दल मेरा नाम तो लेते हैं किन्तु मेरे सिद्धांतों का पालन नहीं करते। मैं सोचता हूँ देश की जनता कभी तो जागेगी और इन भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को सज़ा देगी। इतना कह कर गांधी जी उसी उदास मुद्रा में वहाँ से विलीन हो गए। दूसरे दिन जागने पर मुझे लगा गाँधी जी ने जो कुछ भी कहा शत प्रतिशत सच्च है।

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  1. Asha September 5, 2019

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