Hindi Essay on “Railgadi ki Sair”, “रेलगाड़ी की सैर”, Hindi Essay for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

रेलगाड़ी की सैर

Railgadi ki Sair

 

विशालकाय हवाईजहाज, दूर तक बलखाती हुई रेल, समुद्र में आगे बढ़ता जहाज़, ये सब मन में उत्साह भर देते हैं। जब देखने मात्र से ही इतना रोमांच  होता है तो इनकी सैर कितनी मजेदार होगी।

जब पिता जी ने आगरा जाने के लिए रेल टिकट दिखाए तो मैं खुशी से फूला न समाया। तुरंत कपड़े रख हम सभी तैयार हो गए। दो घंटे में हमें नई दिल्ली स्टेशन से शताब्दी गाड़ी पकड़नी थी। स्टेशन पहुँचने के लिए हमने टैक्सी मंगवाई और स्टेशन पर पैर रखते ही भौंचक्के रह गए। स्टेशन पर अपार भीड थी। लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ रहे थे। बीच-बीच में लाल कपड़ों में कुली ‘संभलना-संभलना’ कहते जाते थे।

गाड़ी सही समय पर थी। हमनें चेयर कार में अपनी सीटें लीं और शीशे से बाहर देखने लगे। चाय, पत्रिकाएँ, छोले-भठूरे और खेल-खिलौनों के स्टाल लगे थे। गाड़ी में उसी समय पत्रिका वाला निराले ढंग से आवाज लगाता हुआ आया। फिर चिप्स और टॉफी वाला भी आया।

अचानक अजीब-सा झटका लगा। पिता जी ने बताया कि अब इंजन जुड़ गया है। फिर सीटी की आवाज आई और रेलगाड़ी चल पड़ी। जैसी ही गाड़ी ने गति पकड़ी, पटरी पर पहियों की आवाज ऐसे लगती थी मानो कोई ताल दे रहा हो।

मनोरम दृश्यों के बीच हमें अल्पाहार परोसा गया। झूले खाते कब आगरा  आया पता ही नहीं चला। रेलगाड़ी को अलविदा कह मैंने वापिस आने का वादा किया।

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