मेरी माँ का रसोईघर
Meri Maa Ka Rasoi Ghar
मेरी माँ का रसोईघर सुबह से शुरू होकर, रात में सबके सोने के बाद ही बंद होता है। सबका पेट भी यहीं से भरता है और सबकी जीभ के स्वाद भी यहीं शांत होते हैं।
मेरी माँ बहुत सफ़ाई प्रिय हैं। उनकी रसोई बहुत स्वच्छ और व्यवस्थित है। माँ ने अलमारियों में साफ़ कागज बिछाए हुए हैं। उनपर डिब्बों की कतारें चमकती हैं।
माँ ने बरतनों के लिए अलग अलमारी बनाई हुई है। वे बरतनों को सुखाकर उलटे रखती हैं। वे कहती हैं कि सीधे रखने पर उनमें धूल आ जाती है।
मैंने माँ की रसाई में कभी कीड़े नहीं देखे। माँ कहती है कि सफ़ाई से पका भोजन हमें स्वस्थ रखता है। स्वस्थ परिवार ही उन्नति करता है।