मैं बारिश हूँ
Main Barish Hoon
सूखी, प्यासी, धरती को मैं राहत देती हूँ। मैं बारिश हूँ। मेरा मौसम, वर्षा ऋतु, तपती गरमी के बाद आता है।
सूरज की गरमी नदी, तालाब, झरनों से पानी को भाप बनाकर हवा में ले आती है। यह भाप बादल बनकर पूरे आकाश में छा जाती है। जब बादलों में बहुत सारा पानी इकट्ठा हो जाता है, तब वह पानी मेरे रूप में नीचे बरस पड़ता है। मैं पूरी धरती को नहला देती हैं। पेड़-पौधे सभी हरे-भरे हो जाते। हैं। नदियों, तालाबों को मैं फिर से भर देती हूँ।
आप सभी मेरे आने पर गरमा-गरम चाय और पकौड़ों का आनंद उठाते हैं। मेरे न होने पर धरती पर सूखा पड़ जाता है और जीव-जंतु मरने लगते हैं। मुझे हरियाली बहुत अच्छी लगती है, इसलिए अधिक से-अधिक वृक्ष लगाकर मुझे धरती पर बुलाएँ।