Hindi Essay on “Jab me Bimar hua”, “जब मैं बीमार हुआ”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

जब मैं बीमार हुआ

Jab me Bimar hua

मैं अपनी पाठशाला के साथ पिकनिक से थककर लौटा था। सिर का दर्द जाता ही नहीं था। माता जी ने मुझे सोने के लिए कहा। धीरे-धीरे मेरे शरीर का तापमान बढ़ने लगा।

इतने में पिता जी आ गए। दोनों मेरे सिरहाने बैठ गए। मेरा तापमान लिया गया और मुझे दवाई दी। रात बढ़ते-बढ़ते मेरा बदन दर्द भी बढ़ने लगा। माँ सिर पर पटियाँ रखती रहीं और पिता जी मेरी टाँगें दबाते रहे। देर रात मुझे कुछ आराम महसूस होने लगा और मैं सो गया।

अगले दिन सुबह जब मेरी आँख खुली, वे दोनों मेरे समीप ही बैठे  थे। मैं उनके स्नेह-सागर में स्नान करके शरीर का सारा दर्द भूल गया।

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