ग्रीष्म ऋतु
Garmi ki Ritu
ग्रीष्म ऋतु या गरमी का मौसम, भारत में सबसे लंबे समय तक रहता है। मार्च के अंत से सितंबर के महीने तक सूरज की गरम किरणें हमें सताती हैं। बीच में वर्षा की छुटपुट फुहारें राहत तो देती हैं परंतु पुनः चिलचिलाती धूप सारे वातावरण को गरम कर देती है।
सूरज का प्रकोप पेड़-पौधों और धरती की सतह पर सबसे अधिक देखने को मिलता है। गरमी से मिट्टी में दरारें आ जाती हैं और पौधे धूप से झुलस कर ढेर हो जाते हैं। कई बार तो गरमी से जंगलों में आग भी लग जाती है जो मीलों घने जंगल बरबाद कर देती है।
जानवर, पक्षी सभी जलाशयों के पास नजर आते हैं और दोपहर को आकाश बिलकुल सूना लगता है।
आदमी आइसक्रोम, नींबू पानी व अन्य ठंडी चीजों से गरमी दूर भगाता है। कूलर, पंखो, ए.सी. का भरपूर प्रयोग बिजली की समस्या को बढ़ाता है। अधिक गरमी होने पर विद्यालयों में लंबी छुट्टी घोषित की जाती है। ऐसे में बच्चे प्रायः अपने माता-पिता के साथ ठंडे इलाकों में जाकर गरमी से राहत पाते हैं।
गरमी में सूती वस्त्रों पर जोर रहता है और संध्या समय लोग बगीचों में सैर को निकल पड़ते हैं। उत्तर भारत में लू का भी प्रकोप रहता है परंतु इससे फलों के राजा, आम का स्वाद और भी बढ़ जाता है। मुझे आम और आइसक्रीम के स्वाद में गरमी का पता भी नहीं चलता।