Hindi Essay on “Chritra ki hani se badh kar koi hani nahi”, “चरित्र की हानि से बढ़ कर कोई हानि नहीं”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

चरित्र की हानि से बढ़ कर कोई हानि नहीं

Chritra ki hani se badh kar koi hani nahi

एक कहावत है कि यदि धन की हानि हो जाए तो समझो कुछ हानि नहीं हुई, यदि स्वास्थ्य की हानि हो जाए तो समझो कुछ हानि हुई किन्तु यदि चरित्र की हानि हो जाए। तो समझो सब कुछ नष्ट हो गया। धन तो फिर भी कमाया जा सकता है, स्वास्थ्य लाभ उपचार से प्राप्त किया जा सकता है किन्तु एक बार चरित्रहीन हो जाने पर, लाख भला बनने की कोशिश करने पर कोई विश्वास नहीं करेगा। यह ऐसा कलंक है जो किसी सूरत में धुलता नहीं। रहीम जी ने चंद्रमा का उदाहरण देते हुए इसी की पुष्टि की है। चंद्रमा में कलंक है किन्तु जब-जब चंद्रमा को लोग निष्कलंक देखते हैं तो किसी भयानक उत्पात की आशंका करते हैं। यही कारण है कि प्रत्येक स्कूल में सुबह-सुबह प्रार्थना करते हुए। विद्यार्थी ईश्वर से सदाचारी बनाए जाने की प्रार्थना करते हैं। सदाचारी मनुष्य को भौतिक कष्ट भले ही झेलने पड़ें, मानसिक कष्ट कभी नहीं झेलना पडते। ऐसा इस कारण है कि मानव के व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले विभिन्न तत्वों में चरित्र का सबसे अधिक महत्व है। चरित्र एक ऐसी शक्ति है, जो मानव जीवन को सफल बनाती है। चरित्र का ही मानव जीवन में आत्मविश्वास और आत्म-निर्भरता उत्पन्न करती है। चरित्र मनु कार्यकलाप और आचरण के समूह का नाम है। चरित्र रूपी शक्ति सम्पत्ति की शक्ति से भी महान होती है। इतिहास इस बात का ग्वाह है कि कोई सम्राट् धन, पद और विद्या के स्वामी थे किन्त चरित्र के अभाव में अस्तित्व गये। रावण जैसा प्रकांड पंडित, चारों वेदों का ज्ञाता महान भक्त और योद्धा चरित्रहीनता के कारण आज तक घणा का पात्र बना हुआ है। तन मन को पाव की भावना, परोपकार और समाज की सेवा भी चरित्रक गणों भी हो आते है। जीवन की सम्पूर्ण सफलता, यश और गौरव अर्जित करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने चरित्र को ऊँचा बनाए। पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण हमारे लिए। घातक सिद्ध होगा, यह मृग तृष्णा है इस से हमें मिलेगा कुछ नहीं। चारित्रिक दृष्टि से हमें जो हानि हो रही है उसकी भरपाई करना कठिन हो जाएगा। हमारा राष्ट्रीय चरित्र दो कौडी का रह जाएगा। अतः अपने चरित्र की ओर ध्यान दीजिए, विशेषकर विद्यार्थी जीवन में। इस से आप में आत्म विश्वास जागेगा। आप उन्नति कर सकेंगे और आप के चेहरे पर एक ऐसा तेज आ जाएगा जो बड़े-बड़े महात्माओं के चेहरे पर होता है। सब से बड़ी बात इस से भारतीयता की भी रक्षा हो सकेगी।

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