Hindi Essay on “Bharat ke Pramukh Darshniya Sthal”, “भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल ”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल

Bharat ke Pramukh Darshniya Sthal

हमारा देश भारत ने केवल भौगोलिक दृष्टि से विशाल और विस्तृत है बल्कि वह अपनी विभिन्न प्राकृतिक सुन्दरता के कारण भी बहुत बड़ा देश है। भारत की प्राकृतिक सुन्दरता सचमुच में निराली और अद्भुत है। अपनी इस अद्भुत सुन्दरता के कारण ही भारत विश्व का एक अनोखा और महान् राष्ट्र समझा जाता है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ भारत की भौतिक सुन्दरता भी कम आकर्षक और रोचक नहीं है।

हमारा देश अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण सबके आकर्षण का केन्द्र रहा। है। यह उत्तर में कश्मीर और दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। पूरब में मिजोरम, नागालैंड और पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ अपने सौन्दर्य और छवि। से सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हमारे देश की छवि चारों ओर से अधिक-से-अधिक मनमोहक रूप में दिखाई पड़ती है। इसके उत्तर में विश्व का सबसे ऊँची श्रेणियों वाला पर्वत हिमालय स्थित है। इसकी बर्फ की चोटियों को देखकरे। ऐसा लगता है कि मेरे देश ने सफेद पगड़ी या मुकुट धारण कर लिया है। यहाँ बहने वाली गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिन्धु जैसी नदियाँ इस देश के गले में पड़ी हुई। मोतियों की माला के समान शोभा को बढ़ाने वाली हैं। दक्षिण में हिन्द महासागर की कल्लोल करती हुई ऊँची-ऊँची तरंगे इस देश का चरण स्पर्श करके इसके चरणों को पखारती हुई मधुर-मधुर गान किया करती है।

हमारे भारत देश की सभ्यता और संस्कृति इतनी विविध प्रकार की है। यहाँ हर प्रकार की जातियां, धर्म, रिवाज, पर्व, त्योहार, दर्शन, साहित्य, आचरण आदि सब कुछ एक दूसरे से न मिलते हुए भी एक ही दिखाई देते हैं। हमारे देश के पूर्व-त्योहार जो समय-समय पर सम्पन्न होते रहते हैं। वे वास्तव में दर्शनीय और आकर्षक हैं।

हमारे उत्तरी क्षेत्र में दर्शनीय स्थानों की अधिकता और विशालता है। इस क्षेत्र के जो भी दर्शनीय स्थल हैं वे अपनी कला और संस्कृति के लिए अत्यन्त प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण हैं—संसार का आठवाँ आश्चर्य आगरे का ताजमहल, सिकन्दराबाद फतहपुर सीकरी, मथुरा, वृन्दावन, डींग, भरतपुर आदि विश्व के प्रायः सभी व्यक्तियों के आकर्षण के एकमात्र केन्द्र हैं। भगवान विश्वम्भर कैलाशपति भूतभावन शंकर की नगरी काशी का न केवल ऐतिहासिक महत्व है और न केवल धार्मिक ही है। अपितु पौराणिक और सांस्कृतिक महत्त्व भी कम नहीं है। इसके पास ही में स्थित इलाहाबाद (प्रयोग) की त्रिवेणी का महत्त्व न केवल वैदिक और पौराणिक काल से ही है. इसके पास महान् हिन्दू सम्राट अशोक का किला का महत्त्व आज भी ज्यों-का-त्यों है। राणा प्रताप और राणा सांगा की जन्मभूमि पमिनी की सुन्दरता, बलिदान और त्याग की भूमि राजस्थान का उदयपुर, चित्तौड़, जोधपुर, माउण्टआबू और जयपुर एक अनोखा और सुन्दरता का महान् केन्द्र है।

इसी तरह से कुल्लू, मनाली, कांगड़ा की दर्शनीय छटा और कश्मीर की कुम्सुम और केशर की क्यारियाँ हमारे आकर्षण के अलग-अलग केन्द्र हैं। कश्मीर की विभिन्न फूलों की घाटियाँ, फल-पत्तों से ढके हुए हिम-शिखरों पर पड़ती हुई सूर्य-चन्द्रमा की किरणें हमें अपनी ओर बार-बार मोह लेती हैं। हमारे देश की शोभा कितनी अद्भुत है, इसे कौन नहीं जानता है। झेलम के तट पर स्थित श्रीनगर,चमकीली डल झील की शोभा, शालीमार, निशात बाग, गुलमर्ग का मैदान, पहलगाम की खूबसूरती, अमरनाथ प्रसिद्ध तीर्थ हैं। इसी तरह से देश के उत्तरी भाग की प्राकृतिक शोभा में मानसरोवर अल्मोड़ा, कोसानी, नैनीताल, संसूरी, चंडीगढ़, अमृतसर आदि प्रसिद्ध हैं।

हमारे देश का पश्चिमी भाग की पर्यटकों सहित अनेक दर्शकों के मनों को – एक साथ ही अपने आकर्षण में बाँध लेता है। अजन्ता, एलोरा की गुफाएँ बम्बई के ऊँची-ऊँची समुद्र, तटीय अट्टालिकाएँ, शिवाजी का कर्म क्षेत्र, पूना का वह पवित्र स्थल, गोवा आदि प्रकृति के अद्भुत आकर्षण हैं। अहमदाबाद कला-कृति का अद्भुत स्थल इसी पश्चिमी क्षेत्र में है। द्वारिकापुरी का पौराणिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व, सांची के स्तूप, विदिशा, खजुराहो, उज्जैन पंचमढ़ी, ग्वालियर, जबलपुर ऐसे नगर परिक्षेत्र हैं, जो न केवल अपनी संस्कृति, कलाकृतियों और रचना की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, अपितु अपने इतिहास और कार्य-व्यापार के लिए प्रसिद्ध हैं।

उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र की तरह भारत का पूर्वी भाग भी कम आकर्षण का केन्द्र नहीं है। आसाम, बंगाल, बिहार आदि राज्चे इस पूर्वी भाग के अन्तर्गत आते हैं। आसाम के चाय के बाग और मैदान, घाटियाँ, मणिपुर के विशाल आकर्षक प्राकृतिक छटा, बिहार और उड़ीसा के विस्तृत कृषि-क्षेत्र आदि पर्यटन के विशेष केन्द्र हैं। भगवान बुद्ध और महावीर, राम-कृष्ण, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, जगन्नाथपुरी का मन्दिर, कोणार्क का मन्दिर, पटना का इतिहास, गया का। गया माहाल्य आदि प्राचीन काल से ही अपनी महानता का परिचय दे रहे हैं।

हमारे देश भारत का दक्षिणांचल भी अनेक दर्शनीय स्थल से पूर्णरूप से सम्पन्न है। आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु प्रदेश, मैसूर राज्य, केरल राज्य आदि की प्राकृतिक शोभा कम सुन्दर और दर्शनीय नहीं हैं। इसके अन्तर्गत हैदराबाद, मैसूर, मद्रास, महाबलीपुरम्, मदुराई, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, बंगलौर, तंजौर की प्राकृतिक छटा, ऐतिहासिक महत्त्व, सांस्कृतिक प्रभाव और धार्मिक मान्यता हमारे जीवन को बार-बार जागरण संदेश देते हैं। केरल जो आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि है, अवश्य दर्शनीय है। इसकी प्राकृतिक शोभा भी हमें बार-बार आकर्षित करती है। दक्षिण को समुद्र-तटीय मैदान भी कम दर्शनीय नहीं है।

इस तरह हमारा देश भारत विभिन्न प्रकार के दर्शनीय स्थलों का महाकेन्द्र होने के कारण विश्व का सचमुच में एक अनूठा राष्ट्र है।

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